विसर्जन कहानी संग्रह पर महिमा श्री की प्रतिक्रिया


विसर्जन कहानी संग्रह पर महिमा श्री की प्रतिक्रिया







महिमा से पहली बार सन्निधि संगोष्ठी में मुलाकात हुई थी | मासूम सी, हँसमुख बच्ची ने जहाँ अपने व्यक्तित्व से सबका मन मोह लिया था वहीँ अपनी कविता से अपनी गहन साहित्यिक समझ से परिचित कराया था | एक लेखिका व व्यक्ति के रूप में वे सदा मुझे प्रिय रही हैं | आज ‘विसर्जन’ पर उनकी समीक्षा पढ़ कर एक पाठक के रूप में उनकी गहराई से हृदय द्रवित है | उन्होंने इतना डूब कर पढ़ा है और उस गहराई तक पहुँची है जहाँ वो पात्र पीड़ा भोग रहे थे | आप जैसा पाठक मिलना किसी लेखक के लिए अनमोल उपलब्द्धि है | बहुत -बहुत स्नेह के साथ स्नेहिल आभार महिमा 



विसर्जन कहानी संग्रह पर महिमा श्री की प्रतिक्रिया 



“विसर्जन” वंदना बाजपेयी जी का पहला कहानी संग्रह है। जिसमें कुल 11 यथाथर्वादी कहानियाँ हैं। “विसर्जन” जब मेरे हाथ में आया तो मैंने सोचा कि ये तो एक-दो दिन में पढ़कर खत्म हो जाएगा। पर ऐसा हो नहीं सका। ऐसी कई कहानियाँ हैं जिसे पढ़ने के बाद इतनी भावुक हो गई कि अवसाद ने घेर लिया। और दूसरी कहानी पढ़ने से पहले विराम स्वत: हो गया। आँखे और दिमाग ने साथ नहीं दिया।कमोबेस सभी कहानियों के नारी पात्रों की विषम परिस्थितियों ने दुखी कर दिया।इन कहानियों में वंदना जी ने अपनी संवेदनशीलता के साथ स्त्री के मनोविज्ञान को बखूबी चित्रित किया है।


विर्सजन, पुरस्कार,मुक्ति आदि कहानियों में स्त्री पात्र समाज में माँ, पत्नी, बेटी, प्रेमिका जैसे उत्तरदायित्व को वहन करते हुए, जटिल जीवन के हर मोर्चे पर संर्घष करते हुए अतंत: स्वतंत्रचेता स्त्री के रुप में स्वयं को स्थापित करती है। वहीं अशुभ, फुलवा, दीदी, चुड़ियाँ आदि के पात्र अपनी सामाजिक, आर्थिक चक्रव्यूह में फंस कर अपने सपनों की बलिवेदी पर स्वंय ही चढ़ जाती हैं या चढ़ा दी जाती हैं।


समाज का मध्यमवर्गीय जहाँ अपनी स्त्रियों को एक विशेष संस्कारजनित ढ़ाचे में देखना चाहता है। इन स्त्रियाँ का जीवन समाज,संस्कार, कर्तव्य़ और अपने सपनों के साथ तालमेल बिताने में ही बीत जाता है। वही निम्नवर्गीय स्त्री कमाऊ होती हुई भी अपनी परिस्थितियों की गुलामी में जकड़ी होती है।संग्रह की सभी कहानियाँ इन दो वर्गो की स्त्रियों की सच्ची संघर्ष गाथा है। उनके पात्र हमारे आस-पास से ही उठा कर रचे गए हैं।हर कहानी में समाज के उन स्वार्थी चेहरों को बेनकाब किया गया है जो अपने स्वार्थ के लिए रिश्तों को दांव पर लगाते हैं। समाजिक संदेश भी निहित है।


इसप्रकार लेखिका ने अपनी लेखकीये कर्म को बखूबी अंजाम दिया है। इसलिए हर पाठक इनसे स्वत: जुड़ा महसूस करेगा। कहानियाँ पढ़ते हुए अहसास होता है कि लेखिका ने बहुत धैर्य और बारीकी से पात्रों के चरित्र को गढ़ा है।

लेखिका वंदना बाजपेयी जी को संग्रह के लिए अशेष बधाइयाँ।
लेखिका – वंदना वाजपेयी
प्रकाशक – एपीएन पब्लिकेशन्स
मूल्य – 180
लिंक – https://www.amazon.in/dp/9385296981/ref=mp_s_a_1_6

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समीक्षा – महिमा श्री

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