‘क्या वक्त आया है, रिटायर जिला-शिक्षा अधिकारी को अब टीचर नहीं पहचानता है ! मैडम लता शर्मा, ने ये मैडम माथुर को नहीं कहा,पर मन ही मन सोच रही है |’ जब वो कैमेस्ट्री की टीचर माथुर के पास अपनी पोती रश्मि को कोचिंग क्लास में पढ़ाने की बात करने के लिए आई थी |’
क्या आप अपने तीन ग्रुप मे से किसी एक में भी और, लड़की को नहीं पढ़ा सकती !ये तो बड़ी हैरानी की बात है|…आपसे इस जवाब की अपेक्षा कतई नहीं थी |’मैडम शर्मा ने लगभग निराश होते हुए कहा |
‘अब आपसे क्या कहूँ मैडम, ,टाइम होता तो आपको निराश नहीं करती | स्कूल से आने के बाद घर की, बच्चो की जिम्मेदारी, पूरी करने के बाद इन तीन ग्रुप को मुश्किल से पढ़ा पाती हूँ | मै पैसो के लिए नही बस आत्म संतुष्टि के अपने ज्ञान को बच्चियों में बाँट देती हूँ, वो पूर्ण मेहनत के साथ ऐसे में और, एक लड़की की जिम्मेदारी नहीं ले सकती |’ मैडम माथुर ने अपनी सफाई दे दी और चुप हो गयी |
आपका कहना अपनी जगह पर बिलकुल सही है ,पर मै भी, अपनी विवशता के कारण आपके पास आयी| मेरी अब वृद्धा अवस्था है विभिन्न …..रोगो ने जकड़ लिया है | कुछ समय पहले दिल का दौरा पढ़ा तो डॉ. ने आराम करने को बोल दिया | नहीं तो मै आपको तकलीफ देने नहीं आती |’ खैर,जाने दो टाइम-टाइम की बात है,मेरी जगह अभी आपका कोई परिचित होता तो ,टाइम का बहाना बना कर यूँ टाल देती आप ?
थैंक्स टॉक टू मी, इतना कह कर मैडम लता शर्मा अपनी पोती का हाथ पकड कर धीरे-धीरे कमरे से बाहर आ गयी |
लम्बा-गोरा,पतला शरीर ,चौड़ा ललाट,चेहरे पर गजब का तेज, मैडम लता शर्मा अपनी पोती के साथ आकर गाड़ी मे बैठ कर चली गयी |
घर आकर थकान के कारण पलंग पर तकिये के सहारे लेट गयी | विचारो की श्रंखला शुरू हो गयी | अपने ज़माने की मशहूर कैमेस्ट्री की टीचर,मिस लता ने बी. एस. सी. ऍम.एस. सी. टॉप किया | पिता की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने से जल्दी ही सरकारी टीचर की नौकरी करनी पड़ी | सपना तो कॉलेज लेक्चरर बनने का था | पर उस कट स्कूल टीचर से ही संतोष करना पड़ा | इंसान अगर किसी चीज को पाने की ठान ले तो पाकर रहता है | मिस लता ने कड़ी मेहनत करके चार वर्ष बाद ही ”लोक सेवा आयोग” से फर्स्ट ग्रेड परीक्षा पास करी और स्कूल लेक्चरर बन गयी |
स्कूल मे एक-एक लड़की को कैमेस्ट्री समझाती और उनके सवालों को हल करती थी | सुबह और शाम को वो अपने घर मे भी लडकियों को पढाने के लिए बेच लगाती थी | जो लडकिया पढने मे कमजोर होती उन पर तो विशेष ध्यान देती | लडकियां भी निसंकोच मैडम के घर पढने के लिए जाती थी | किसी से कोई पैसा नहीं लेती | विधा-दान करना देश के प्रति सेवा समझती, बजाय विधा को बेचने |
उन्ही दिनों उसके लिए लड़के की तलाश भी होने लगी | वो अभी शादी नहीं करना चाहती थी ,पर माता-पिता के आग्रह को टाल भी नहीं सकती थी | और वन-विभाग के फारेस्ट-अधिकारी मिस्टर शर्मा के साथ उसकी शादी हो गयी |अब वो मिस लता से मिसेज शर्मा बन गयी |
जहाँ भी जिस भी स्कूल मे उसकी पोस्टिंग हुई,वहां लडकियों की सबसे प्रिय और अच्छी टीचर बन कर रही | बड़ी कुशलता के साथ पढ़ाती थी | अपनी मेहनत के कारण उसने खूब नाम कमाया | अब वो ‘’सीनियर सेकेंडरी’’ स्कूल की प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत है | हर साल उसके स्कूल की लडकियों ने राज्य मे प्रथम पोजीशन हासिल करी| साथ ही स्कूल की अन्य गतिविधियों मे भी लडकियों ने अपना और स्कूल का नाम रौशन किया | अंत मे मैडम शर्मा प्रमोशन लेते-लेते जिला-शिक्षा अधिकारी की पोस्ट से रिटायर हुई |
अब ढलती उम्र मे अपने परिवार के साथ सुख-चैन का जीवन अपने अपनों के साथ बसर कर रही है | एक पुत्र- और एक पुत्री,पति बस यही उनका परिवार;पुत्री अपने ससुराल और पुत्र अपने परिवार के साथ ही रहता है | एक पौत्र-पौत्री है जो इनकी आँखों के तारे, इनके जीने का सुखद अहसास भी है | पुत्र अकाउंटेंट है| पुत्र-वधु कुशल गृहणी के साथ एक अच्छी बहु,पत्नी और माँ है |
पौत्री रश्मि अपनी दादी से ही पढना चाहती थी | अपनी तकलीफ के कारण अभी नहीं पढ़ा सकती इसलिए उसकी स्कूल की टीचर के पास बात करने गयी | पर सब बेकार ! रश्मि ने कहा ‘आप कब तक ठीक होगी?’ ‘क्या बताऊ , बेटा डॉ . ने और, एक महिना आराम करने को कहा है | तब तक तुम रुक जाओ फिर मै सारा कोर्स करवा दूंगी |’ मिसेज लता शर्मा ने कहा | ‘ पलंग पर लेटी है मिसेज शर्मा, और सोच रही है कि मैंने पहले ही कहा था बेटे से कि अब रिटायर होने के बाद कौन पहचानेगा मुझे ! विचारो की श्रंखला उसे अतीत की यादो मे ले गयी |
पापा के पास कितने सारे लड़के-लडकिया दिन भर पढने को आते रहते थे | कभी किसी को निराश नहीं किया सबको गणित सीखने मे उनकी भरपूर मदद करते थे | गणित पर उनका बहुत कंट्रोल था | बहुत सारे बच्चो को गणित मे निपुण किया था | बिना कोई पैसा लिए | सब को निशुल्क शिक्षा देते थे उन्ही का के नक्से कदम पर चलते हुए मैंने भी जीवन में बच्चो को निशुल्क पढाने का निर्णय लिया था |
माँ बहुत नेक दिल और धरम-परायण स्त्री थी | पति से उनको कभी कोई शिकायत नहीं रही , जो कुछ पति ने लाकर दिया, उसी मे संतोष के साथ अपना गुजारा सहर्ष किया | ये सब सोचते-सोचते कब उसकी आँख लग गयी पता ही नहीं चला | उठी तब तक शाम हो गयी थी |
मिसेज शर्मा मिसेज माथुर की माँ की कॉलेज टाइम की दोस्त थी , जब मिसेज शर्मा उनके घर से निकल रही थी,तो उन्होंने बात करनी चाही ,पर तब तक मिसेज शर्मा निकल गयी थी | ‘बेटा मिसेज शर्मा जो तुम्हारी गुरु भी रही थी कभी, आज इनके आने से तुम्हे गुरु सेवा करने का मौका मिला | तुम बहुत भाग्यशाली हो |’ ‘वो अपनी पोती के लिए टयूसन की बात करने आई,मैंने तो पहचाना नहीं और मना भी कर दिया |’कहा मैडम माथुर ने अपनी माँ से अफसोस के साथ कहा | अब मैडम माथुर को अपने व्यवहार से पछतावा हो रहा था और अब उन्हें उनके घर जाकर माफ़ी मंगनी होगी |’ ‘माफ़ी तो तुझे माँगनी पड़ेगी,जब तुम उनकी स्टूडेंट थी ,तो कितनी मेहनत की,कि तुम्हे अच्छी पोजीशन मिले ! अब जब तुम्हे अपना फर्ज अदा करने का अवसर मिला तो तुमने उन्हें पहचाना तक नहीं |’
मैडम माथुर शाम होने का बेसब्री से इन्तजार करने लगी | ठीक छ बजे वो मैडम लता शर्मा के घर पहुँच गयी | डोर बेल बजने पर नौकर ने दरवाजा खोला ‘कहिये किससे मिलना है |’मैडम से , वो उसे मैडम के कमरे मे ले गया | मैडम माथुर अपनी गुरु के पैरो मे गिर कर माफ़ी मांगने लगी | अरे ! आप , माफ़ी क्यों मांग रही है,आपने पढाने से इंकार करके कोई गुनाह नहीं किया ,मै समझ सकती हूँ वक्त की कमी के कारण ऐसा किया है आपने ,मुझे बुरा तो लगा | पर अब अच्छा लगा कि आपने पता चलते ही अपनी गलती मान कर माफ़ी मांगने मेरे पास आयी,
‘आपने मेरी कितनी मदद करी कि,मै कैमेस्ट्री मे विशेष योग्यता हासिल कर सकू,आज मै जो कुछ हूँ,आपके कारण हूँ | ‘आप अपनी रश्मि को अपनी इस शिष्या के पास पढने को जरुर भेजना | तभी मै समझूंगी कि,आपने मुझे माफ़ कर दिया है | जो पहले कहा उसे भूल समझ कर माफ़ कर देना मैडम | ‘इसमें माफ़ी मांगने जैसी कोई बात नहीं है | पर एक बात आपसे कहना चाहती हूँ |’ ‘जी , कहिये , मै चाहती हूँ कि आप हर साल कम-से-कम दस लडकियों को निशुल्क पढाये | जो पैसा भर नहीं सकती | मैंने पता लगाया है कि आपके पास जितनी लड़कियां आती है ,उनमे से कुछेक को छोड़ कर बाकी सब माध्यम परिवारों से है | आप खुद
सोचिये,कितनी मुश्किल से उनके माँ-बाप पैसो का इंतजाम करते होंगे |’
‘ठीक है मैडम, अगले साल से दस लडकियाँ बिना पैसो के पढाऊगी ,और ये आपको मेरी गुरु दक्षिणा होगी | आप अपनी पौत्री को कल से जरुर भेजना, और हां आप से मै एक पैसा नहीं लूँगी|
”अब ये सब छोड़ो चाय-नाश्ता करो,जब से आयी हो माफ़ी मांग रही हो | तुम अपनी गुरु के घर पहली बार आयी हो ,मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है | ‘तुम्हे याद नही शायद ,तुम मेरी सबसे चहेती छात्रा थी | पर तुम्हे कैमेस्ट्री मे रूचि कम थी, मेरे कहने से ही तुमने यह सब्जेक्ट लिया था,और खूब मेहनत करके विशेष योग्यता भी हासिल करी |’ तब तक रश्मि के पापा -मम्मी भी आ गये थे | सब ने मिलकर चाय-नाश्ता किया , थोड़ी देर मैडम लता शर्मा ने मैडम माथुर से बाते की,इतने सालो बाद मिलकर दोनों बहुत खुश थी | बहुत ही खुशनुमा माहौल से दोनों की मुलाकात खत्म हुई |
शान्तिपुरोहित नोखा
,बीकानेर राजस्थान