डॉ . आशुतोष शुक्ला
किडनी शरीर के
महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। किडनी रक्त में मौजूद पानी और व्यर्थ पदार्थो को
अलग करने का काम करता है। इसके अलावा शरीर में रसायन पदार्थों का संतुलन, हॉर्मोन्स छोड़ना, रक्तचाप नियंत्रित
करने में भी सहायता प्रदान करता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी
सहायता करता है। इसका एक और कार्य है विटामिन-डी का निर्माण करना, जो शरीर की
हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है।
महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। किडनी रक्त में मौजूद पानी और व्यर्थ पदार्थो को
अलग करने का काम करता है। इसके अलावा शरीर में रसायन पदार्थों का संतुलन, हॉर्मोन्स छोड़ना, रक्तचाप नियंत्रित
करने में भी सहायता प्रदान करता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी
सहायता करता है। इसका एक और कार्य है विटामिन-डी का निर्माण करना, जो शरीर की
हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है।
लगातार दूषित
पदार्थ खाने, दूषित जल पीने और नेफ्रॉन्स के टूटने से किडनी के रोग
उत्पन्न होते हैं। इसके कारण किडनी शरीर से व्यर्थ पदार्थो को निकालने में असमर्थ
हो जाते हैं। बदलती लाइफस्टाइल व काम के बढ़ते दबाव के कारण लोगों में जंकफूड व
फास्ट फूड का सेवन ज्यादा करने लगे हैं। इसी वजह से लोगों की खाने की प्लेट से
स्वस्थ व पौष्टिक आहार गायब होते जा रहें हैं।
पदार्थ खाने, दूषित जल पीने और नेफ्रॉन्स के टूटने से किडनी के रोग
उत्पन्न होते हैं। इसके कारण किडनी शरीर से व्यर्थ पदार्थो को निकालने में असमर्थ
हो जाते हैं। बदलती लाइफस्टाइल व काम के बढ़ते दबाव के कारण लोगों में जंकफूड व
फास्ट फूड का सेवन ज्यादा करने लगे हैं। इसी वजह से लोगों की खाने की प्लेट से
स्वस्थ व पौष्टिक आहार गायब होते जा रहें हैं।
किडनी समस्या के कारण
गुर्दों की समस्या के
लिए खासतौपर पर दूषित खानपान और वातावरण जिम्मेदार माना जाता है। कई बार गुर्दों
में परेशानी का कारण एंटीबायोटिक दवाओं का ज्यादा सेवन भी होता है। मधुमेह रोगियों
को किडनी की शिकायत आम लोगों की तुलना में ज्यादा होती है। बढ़ता औद्योगीकरण और
शहरीकरण भी किडनी रोग का कारण बन रहा है।
लिए खासतौपर पर दूषित खानपान और वातावरण जिम्मेदार माना जाता है। कई बार गुर्दों
में परेशानी का कारण एंटीबायोटिक दवाओं का ज्यादा सेवन भी होता है। मधुमेह रोगियों
को किडनी की शिकायत आम लोगों की तुलना में ज्यादा होती है। बढ़ता औद्योगीकरण और
शहरीकरण भी किडनी रोग का कारण बन रहा है।
किडनी रोग के लक्षण
मूत्र कम या ज्यादा आना
मूत्र कम आना या ज्यादा
आना किडनी रोग का पहला लक्षण है। गुर्दे की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को सामान्य
की तुलना में कम या ज्यादा मूत्र आता है। ऐसे व्यक्ति को अक्सर रात में ज्यादा
पेशाब आता है और रोगी के पेशाब का रंग गहरा होता है। कई बार रोगी को पेशाब का
अहसास होता है, लेकिन
टॉयलेट में जाने पर वह पेशाब नहीं कर पाता।
आना किडनी रोग का पहला लक्षण है। गुर्दे की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को सामान्य
की तुलना में कम या ज्यादा मूत्र आता है। ऐसे व्यक्ति को अक्सर रात में ज्यादा
पेशाब आता है और रोगी के पेशाब का रंग गहरा होता है। कई बार रोगी को पेशाब का
अहसास होता है, लेकिन
टॉयलेट में जाने पर वह पेशाब नहीं कर पाता।
पेशाब में
खून आना
पेशाब में खून आना भी
किडनी रोग का लक्षण होता है। यह समस्या अन्य कारणों से भी हो सकती है, लेकिन इसका पहला कारण
किडनी रोग ही माना जाता है। इस तरह की परेशानी होने पर उसे नजरअंदाज नहीं करना
चाहिए।
किडनी रोग का लक्षण होता है। यह समस्या अन्य कारणों से भी हो सकती है, लेकिन इसका पहला कारण
किडनी रोग ही माना जाता है। इस तरह की परेशानी होने पर उसे नजरअंदाज नहीं करना
चाहिए।
अंगों पर
सूजन
किडनी शरीर से तमाम
अशुद्ध अवशेषों को बाहर निकालने का काम करती है। जब गुर्दे सही ढंग से काम नहीं कर
पाते, तो
शरीर में बचे ये अवशेष सूजन का कारण बन जाते हैं। ऐसे में हाथ, पैर, टखनों और चेहरे पर सूजन
आ जाती है।
अशुद्ध अवशेषों को बाहर निकालने का काम करती है। जब गुर्दे सही ढंग से काम नहीं कर
पाते, तो
शरीर में बचे ये अवशेष सूजन का कारण बन जाते हैं। ऐसे में हाथ, पैर, टखनों और चेहरे पर सूजन
आ जाती है।
थकान और
कमजोरी
गुर्दे शरीर में
एथ्रोपोटीन हार्मोन का उत्पादन करते हैं। जिससे लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में
सहायक होता है, ये
ऑक्सीजन को खींचने में सहायक होती हैं। किडनी के सही ढंग से काम न करने पर व्यक्ति
एनीमिया का शिकार हो जाता है। शरीर में रक्त की कम मात्रा होने पर व्यक्ति को
थकान और कमजोरी महसूस होती है।
एथ्रोपोटीन हार्मोन का उत्पादन करते हैं। जिससे लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में
सहायक होता है, ये
ऑक्सीजन को खींचने में सहायक होती हैं। किडनी के सही ढंग से काम न करने पर व्यक्ति
एनीमिया का शिकार हो जाता है। शरीर में रक्त की कम मात्रा होने पर व्यक्ति को
थकान और कमजोरी महसूस होती है।
ठंड ज्यादा
लगना
यदि आपके गुर्दे सही
तरीके से काम नहीं करते, तो
आपको ठंड का अहसास ज्यादा होता है। चारों तरफ गर्म वातावरण होने पर भी रोगी को
ठंड लगती है। किडनी इन्फेक्शन बुखार का कारण भी बन सकता है।
तरीके से काम नहीं करते, तो
आपको ठंड का अहसास ज्यादा होता है। चारों तरफ गर्म वातावरण होने पर भी रोगी को
ठंड लगती है। किडनी इन्फेक्शन बुखार का कारण भी बन सकता है।
चकत्ते ओर
खुजली
किडनी के सही से काम न
करने पर आपके शरीर में गंदा खून मौजूद रहता है। जिससे रोगी के शरीर पर चकत्ते और
खुजली की समस्या भी हो सकती है।
करने पर आपके शरीर में गंदा खून मौजूद रहता है। जिससे रोगी के शरीर पर चकत्ते और
खुजली की समस्या भी हो सकती है।
मितली और उल्टी
आना
रक्त में अशुद्ध अवशेष
रहने और इसके साफ न होने से रोगी का मितली और उल्टी आने की भी समस्या होती है।
ऐसे में व्यक्ति का कुछ खाने का मन भी नहीं करता। आमतौर पर लोग मितली और उल्टी
आने को सामान्य समस्या मानकर नजरअंदाज कर देते हैं।
रहने और इसके साफ न होने से रोगी का मितली और उल्टी आने की भी समस्या होती है।
ऐसे में व्यक्ति का कुछ खाने का मन भी नहीं करता। आमतौर पर लोग मितली और उल्टी
आने को सामान्य समस्या मानकर नजरअंदाज कर देते हैं।
छोटी सांस
आना
किडनी की समस्या से
ग्रस्त व्यक्ति एनीमिया का शिकार हो जाता है। ऐसे व्यक्ति को थकान होने के साथ
ही छोटी और रूक-रूक कर सांस आती हैं।किडनी रोग को समय से पहचानना बहुत जरूरी है, रोग को पहचानने में
देरी होने पर यह किडनी फेल्योर का कारण भी बन सकता है। अन्य किसी भी प्रकार की
समस्या से बचे रहने के लिए डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें |
ग्रस्त व्यक्ति एनीमिया का शिकार हो जाता है। ऐसे व्यक्ति को थकान होने के साथ
ही छोटी और रूक-रूक कर सांस आती हैं।किडनी रोग को समय से पहचानना बहुत जरूरी है, रोग को पहचानने में
देरी होने पर यह किडनी फेल्योर का कारण भी बन सकता है। अन्य किसी भी प्रकार की
समस्या से बचे रहने के लिए डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें |
किडनी के
रोगों को दूर करने के लिए कुछ प्राकृतिक उपायों की मदद लेना बहुत फायदेमंद साबित
हो सकता है। ऐसे ही कुछ खास उपाय लेकर आए हैं हम आपके लिए।
रोगों को दूर करने के लिए कुछ प्राकृतिक उपायों की मदद लेना बहुत फायदेमंद साबित
हो सकता है। ऐसे ही कुछ खास उपाय लेकर आए हैं हम आपके लिए।
जीवन शैली में बदलाव
जीवन शैली का प्रभाव हमारे शरीर के हर अंग पर
पड़ता है | विकास ने जहाँ हमें इतनी सुविधाएं दी हैं वहीं विकास के साथ आई गलत जीवन
शैली ने हमें अनेकों रोग भी दिए हैं | अन्य अंगों की तरह अगरआप किडनी को भी स्वस्थ रखना चाहते हैं तो सबसे
पहले अपनी जीवन शैली को नियमित करना पड़ेगा |
पड़ता है | विकास ने जहाँ हमें इतनी सुविधाएं दी हैं वहीं विकास के साथ आई गलत जीवन
शैली ने हमें अनेकों रोग भी दिए हैं | अन्य अंगों की तरह अगरआप किडनी को भी स्वस्थ रखना चाहते हैं तो सबसे
पहले अपनी जीवन शैली को नियमित करना पड़ेगा |
नियमित एक्सरसाइज करें
प्रतिदिन
नियमित रूप से एक्सरसाइज और शारीरिक गतिविधियां को करने से रक्तचाप व रक्त में
शुगर की मात्रा को नियंत्रित रखा जा सकता हैं, जिससे
डायबिटीज और उससे होने वाली क्रोनिक किडनी की बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता
है।
डायबिटीज पर नियंत्रण
डायबिटीज को किडनी पर बहुत बुरा असर पड़ता है। या आप यह
कह सकते है कि डायबिटीज किडनी का सबसे बड़ा शत्रु है। इसलिए ब्लड में शुगर की
मात्रा नियंत्रित रहना आवश्यक होता है।
कह सकते है कि डायबिटीज किडनी का सबसे बड़ा शत्रु है। इसलिए ब्लड में शुगर की
मात्रा नियंत्रित रहना आवश्यक होता है।
धूम्रपान का सेवन न करें
धूम्रपान का
सेवन कई गंभीर समस्याओं का कारण हो सकता है, विशेषकर फेफड़े संबंधी रोगों के लिए। इसके सेवन से रक्त नलिकाओं में रक्त का
बहाव धीमा पड़ जाता है और किडनी में रक्त कम जाने से उसकी कार्यक्षमता घट जाती है।
इसलिए धूम्रपान के सेवन से बचें।
सेवन कई गंभीर समस्याओं का कारण हो सकता है, विशेषकर फेफड़े संबंधी रोगों के लिए। इसके सेवन से रक्त नलिकाओं में रक्त का
बहाव धीमा पड़ जाता है और किडनी में रक्त कम जाने से उसकी कार्यक्षमता घट जाती है।
इसलिए धूम्रपान के सेवन से बचें।
नमक की मात्रा कम लें
किडनी की
समस्या से ग्रस्त लोगों को अपने आहार पर खास ध्यान देना चाहिए। खाने में नमक व
प्रोटीन की मात्रा कम रखनी चाहिए जिससे किडनी पर कम दबाव पड़ता है। इसके अलावा
फासफोरस और पौटेशियम युक्त आहार से भी दूर ही रहना चाहिए।
समस्या से ग्रस्त लोगों को अपने आहार पर खास ध्यान देना चाहिए। खाने में नमक व
प्रोटीन की मात्रा कम रखनी चाहिए जिससे किडनी पर कम दबाव पड़ता है। इसके अलावा
फासफोरस और पौटेशियम युक्त आहार से भी दूर ही रहना चाहिए।
वजन को नियंत्रित रखें
अधिक वजन से
भी किडनी को नुकसान हो सकता है। इसलिए संतुलित आहार एवं नियमित व्यायाम से अपने
वजन को नियंत्रित रखें। ऐसा करने से आपको डायबिटीज, हृदय रोग एवं अन्य बीमारियों की रोकथाम में मदद मिलेगी जो क्रोनिक किडनी
फेल्योर उत्पन्न कर सकती है।
भी किडनी को नुकसान हो सकता है। इसलिए संतुलित आहार एवं नियमित व्यायाम से अपने
वजन को नियंत्रित रखें। ऐसा करने से आपको डायबिटीज, हृदय रोग एवं अन्य बीमारियों की रोकथाम में मदद मिलेगी जो क्रोनिक किडनी
फेल्योर उत्पन्न कर सकती है।
दर्द निवारक दवाओं का सेवन
दर्द निवारक
दवाओं के बहुत ज्यादा सेवन से बचना चाहिए। इसके अलावा डॉक्टर के सलाह के बिना
दवाओं को सेवन आपकी किडनी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
दवाओं के बहुत ज्यादा सेवन से बचना चाहिए। इसके अलावा डॉक्टर के सलाह के बिना
दवाओं को सेवन आपकी किडनी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
पानी ज्यादा पीएं
गुर्दे के रोगों से बचने के लिए
थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें। इससे किडनी में मौजूद व्यर्थ पदार्थ यूरीन के
जरिए बाहर निकल जाएगें और आप किडनी के रोगों से बचे रहेंगे। चाहें तों पानी में
नींबू के रस को निचोड़ कर भी पी सकते हैं इससे शरीर को विटामिन सी व पानी दोनों साथ
मिलेगा।
थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें। इससे किडनी में मौजूद व्यर्थ पदार्थ यूरीन के
जरिए बाहर निकल जाएगें और आप किडनी के रोगों से बचे रहेंगे। चाहें तों पानी में
नींबू के रस को निचोड़ कर भी पी सकते हैं इससे शरीर को विटामिन सी व पानी दोनों साथ
मिलेगा।
परिवारिक इतिहास हो तो काराए नियमित जांच
अगर क्रोनिक
किडनी डिसीज, मधुमेह या हृदय बीमारी का परिवारिक
इतिहास रहा हो तो इस बारे में जानें। अगर ऐसा है तो आपको खतरा हो सकता है। इससे
बचने के लिए नियमित रूप से अपनी किडनी की जांच करवाते रहें। किडनी मूत्र के माध्यम से टॉक्सिन्स
को शरीर से बाहर निकालने में मदद करती हैं। यदि किडनी ठीक नहीं होगी तो रक्त शुद्ध
नहीं होगा और सेहत खराब हो सकती है। यहां दी बातों को ध्यान में रखकर आप किडनी को
स्वस्थ रख सकते हैं। समस्या अधिक गंभीर होने पर किडनी को खतरे में डाले बिना
डाक्टर की सलाह से इसका उपचार करायें।
किडनी डिसीज, मधुमेह या हृदय बीमारी का परिवारिक
इतिहास रहा हो तो इस बारे में जानें। अगर ऐसा है तो आपको खतरा हो सकता है। इससे
बचने के लिए नियमित रूप से अपनी किडनी की जांच करवाते रहें। किडनी मूत्र के माध्यम से टॉक्सिन्स
को शरीर से बाहर निकालने में मदद करती हैं। यदि किडनी ठीक नहीं होगी तो रक्त शुद्ध
नहीं होगा और सेहत खराब हो सकती है। यहां दी बातों को ध्यान में रखकर आप किडनी को
स्वस्थ रख सकते हैं। समस्या अधिक गंभीर होने पर किडनी को खतरे में डाले बिना
डाक्टर की सलाह से इसका उपचार करायें।
किडनी को
स्वस्थ रखने वाले कुछ आहार
स्वस्थ रखने वाले कुछ आहार
जीवन शैली के साथ भजन में अगर आप
कुछ चीजों को शामिल कर लें तो आपकी किडनियां स्वस्थ रह सकती हैं
मैग्नीशियम
का सेवन
कुछ चीजों को शामिल कर लें तो आपकी किडनियां स्वस्थ रह सकती हैं
मैग्नीशियम
का सेवन
मैग्नीशियम की कमी से उच्च रक्तचाप और विषाक्त पदार्थों
के बढ़ जाने से किडनी का काम प्रभावित होने लगता है। इसलिए पर्याप्त मात्रा में
मैग्नीशियम को अपने आहार में शामिल करें। इसके लिए अपने आहार में हरी सब्जियां, बीज, नट और साबुत अनाज को
शमिल करें।
के बढ़ जाने से किडनी का काम प्रभावित होने लगता है। इसलिए पर्याप्त मात्रा में
मैग्नीशियम को अपने आहार में शामिल करें। इसके लिए अपने आहार में हरी सब्जियां, बीज, नट और साबुत अनाज को
शमिल करें।
एप्पल साइडर
विनेगर
विनेगर
इसका प्रयोग
कई शारीरिक जरूरतों के लिए किया जाता है। इसके अलावा किडनी संबंधी समस्याओं के
बारे में भी काफी कारगर साबित होता है। इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल तत्व शरीर को
बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाते हैं जिसमें किडनी भी शामिल है। एप्पल साइडर विनेगर
प्रयोग से किडनी में मौजूद स्टोन धीरे-धीरे अपनेआप खत्म हो जाता है। इसमें
मूत्रवर्धक तत्व होते हैं जो किडनी से व्यर्थ पदार्थों को बाहर निकालते हैं और
किडनी को स्वस्थ रखते हैं।
खुच खास विटामिन
कुछ खास तरह
के विटामिन के सेवन से किडनी को स्वस्थ व मजबूत बनाया जा सकता है। यूं तो विटामिन
पूरे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं लेकिन कुछ खास तरह के विटामिन का सेवन किडनी
को स्वस्थ रखने के लिए किया जाता है। विटामिन डी के सेवन से किडनी के रोगों के
लक्षणों को कम किया जा सकता है। अगर आप हर रोज विटामिन बी6 का सेवन करें तो किडनी स्टोन की
समस्या से बच सकते हैं या आप इस समस्या से ग्रस्त हैं तो बिना किसी डर इस विटामिन
का सेवन कर सकते हैं। कुछ ही दिनों स्टोन की समस्या अपने आप खत्म हो जाएगी। इसके
अलावा विटामिन सी के सेवन से किडनी को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है।
के विटामिन के सेवन से किडनी को स्वस्थ व मजबूत बनाया जा सकता है। यूं तो विटामिन
पूरे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं लेकिन कुछ खास तरह के विटामिन का सेवन किडनी
को स्वस्थ रखने के लिए किया जाता है। विटामिन डी के सेवन से किडनी के रोगों के
लक्षणों को कम किया जा सकता है। अगर आप हर रोज विटामिन बी6 का सेवन करें तो किडनी स्टोन की
समस्या से बच सकते हैं या आप इस समस्या से ग्रस्त हैं तो बिना किसी डर इस विटामिन
का सेवन कर सकते हैं। कुछ ही दिनों स्टोन की समस्या अपने आप खत्म हो जाएगी। इसके
अलावा विटामिन सी के सेवन से किडनी को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है।
बेकिंग सोडा
ब्रिटिश
शोधर्कर्ताओं के मुताबिक किडनी के रोगों से बचने के लिए सोडियम बाइकार्बोनेट का
सेवन फायदेमंद होता है। इसके सेवन से किडनी के रोगों की गति को कम किया जा सकता
है। बेकिंग सोडा की मदद से रक्त में होने वाली एसिडिटी की समस्या खत्म हो जाती है
जो कि किडनी की समस्याओं के मुख्य कारणों में से एक है।
शोधर्कर्ताओं के मुताबिक किडनी के रोगों से बचने के लिए सोडियम बाइकार्बोनेट का
सेवन फायदेमंद होता है। इसके सेवन से किडनी के रोगों की गति को कम किया जा सकता
है। बेकिंग सोडा की मदद से रक्त में होने वाली एसिडिटी की समस्या खत्म हो जाती है
जो कि किडनी की समस्याओं के मुख्य कारणों में से एक है।
सब्जियों का रस
किडनी की
समस्या होने पर गाजर, खीरा, पत्तागोभी तथा लौकी के रस पीना चाहिए। इससे किडनी के रोगों से उबरने में मदद
मिलती है और किडनी स्वस्थ रहती है। इसके अलावा तरबूज तथा आलू का रस भी गुर्दे के
रोग को ठीक करने के लिए सही होता है इसलिए पीड़ित रोगी को इसके रस का सेवन सुबह शाम
करना चाहिए।
समस्या होने पर गाजर, खीरा, पत्तागोभी तथा लौकी के रस पीना चाहिए। इससे किडनी के रोगों से उबरने में मदद
मिलती है और किडनी स्वस्थ रहती है। इसके अलावा तरबूज तथा आलू का रस भी गुर्दे के
रोग को ठीक करने के लिए सही होता है इसलिए पीड़ित रोगी को इसके रस का सेवन सुबह शाम
करना चाहिए।
मुनक्का का पानी
व्यक्ति को
रात के समय में सोते वक्त कुछ मुनक्का को पानी में भिगोने के लिए रखना चाहिए तथा
सुबह के समय में मुनक्का पानी से निकाल कर, इस पानी को पीना चाहिए। ऐसा कुछ दिनों तक लगातार करने से गुर्दे का रोग जल्दी
ही ठीक हो जाता है।
रात के समय में सोते वक्त कुछ मुनक्का को पानी में भिगोने के लिए रखना चाहिए तथा
सुबह के समय में मुनक्का पानी से निकाल कर, इस पानी को पीना चाहिए। ऐसा कुछ दिनों तक लगातार करने से गुर्दे का रोग जल्दी
ही ठीक हो जाता है।
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