आज का रावण


विजयदशमी में बुराई के प्रतीक रावण का प्रभु श्रीराम द्वारा वध किया जाता है | पर आज रावण एक नहीं अनेक हैं, और राम एक भी नहीं | पढ़िए खूबसूरत कविता “आज का रावण” 


इंसानी
मुखौटे में घूम रहा है

स्कूल, कॉलेज, बस स्टेंड, रेलवे स्टेशन
और तो और
घर के भीतर – बाहर हर जगह

घात
लगाये है – आज का रावण….

दामिनी –
प्रद्युम्न जैसे मासूमों का खून पीने

मानवता
को तार – तार करने

अपना
काला सामृाज्य बढ़ाने

रच रहा
षड्यंत्र वो हैवान – शैतान / आज का रावण….

बैठ कर
सत्ता के गलियारों में

निज घर
भर रहा

प्रजारूपी
जनता पर चाबुक चला रहा

देश को
रसातल में पहुंचा रहा

आज का
रावण….

बदल कर
भेष बना साधु

धर्म को
कर रहा नष्ट – भ्रष्ट

मठ, मंदिर, आश्रम इसके बने अय्याशी का
द्वार

गई आज
इंसानियत इससे हार
 

अब श्री
राम कहॉ….
?
रावण घर
– घर में तैयार यहॉ….!

 मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 

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