हायकू काव्य की एक विधा है जो नौवी शताब्दी से प्रचलन में आई | ये बहुत ही गहन विधा है जिसमें कम से कम शब्दों में अपनी बात कही जाती है | हायकू कविता की बनावट 5-7-5 होती है | बुद्ध पूर्णिमा पर पढ़ें –
भगवान् बुद्ध को समर्पित 17 हाइकु
नहीं आसान
स्वयं बुद्ध बनना
हों समाधान।
सिखाए पानी
नदी मचाती शोर
सागर शांत।
पहने अहं
ढीले वस्त्रों समान
उतारें सहम।
भौतिक मोह
भस्म कर डाले जो
वही है बुद्ध।
क्षमा है शक्ति
मिटाती क्रोध शोक
उपजे प्रेम।
मार्ग हो धर्म
अपनाइए साथ
मिटे अँधेरा
धम्मपद का ज्ञान
देवे सवेरा।
महान पल
अस्वीकारें सहाय
मुक्ति संभव।
बीता है भूत
भविष्य आया नहीं
है मात्र क्षण।
बदलें दिशा
चलते चलो तभी
सुधरे दशा।
रचते स्वयं
सेहत रोग शोक
पवित्र बोल
कर्म में परिणत
तभी सार्थक।
शांति भीतर
कस्तूरी के समान
करती वास।
वहीं है खुशी
जो सहेजते इसे
रखते पास।
प्रबुद्ध बनें
सर्व जन हिताय
समृद्ध बनें।
जैसा सोचते
कर्म यथानुसार
वैसा बनते।
पवित्र मन
समझ से उपजे
वो सच्चा प्रेम।
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डा० भारती वर्मा बौड़ाई
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