दीपावली पर मिटाए भीतरी अन्धकार
हम हर वर्ष दीपावली मनाते हैं | हर घर ,हर आंगन,हर गाँव ,हर बस्ती एक जगमग रौशनी से नहा उठती है | यूँ लगता है जैसे सारा संसार एक अलग ही पोशाक धारण कर लिया है | इस दिन मिट्टी के दिये में दीप जलाने की मान्यता है | क्योंकि मिट्टी के दिये में हमारी मिट्टी की खुश्बू है,मिट्टी का दिया हमारा आदर्श है,हमारे जीवन की दिशा है,संस्कारों की सीख है,संकल्प की प्रेरणा है और लक्ष्य तक पहुँचने का सबसे अच्छा माध्यम है | दीपावली अपने आप में बेहद ही रौशनी से परिपूर्ण आस्था का त्यौहार है पर इसकी सार्थकता तभी पूर्ण है जब हमारे मन के भीतर का अंधकार भी दूर हो | यह त्यौहार भले ही सांस्कृतिक त्यौहार है पर ऐतिहासिक महापुरुषों के प्रसंग से भी इस पर्व की महता जुडी है | दीपावली लौकिकता के साथ-साथ आध्यात्मिकता का भी अनूठा पर्व है | ‘अंधकार से प्रकाश की ओर प्रशस्त’ ही इस पर्व का मूल मतलब है
ज्ञान ही मिटाता है भीतरी अन्धकार
ज्ञान की प्रकाश ही असली प्रकाश है | हमारे भीतर अज्ञान का तमस छाया हुआ है ,वह ज्ञान के प्रकाश से ही मिट सकता हैं | ज्ञान दुनिया का सबसे बड़ा प्रकाश दीप है, जब ज्ञान का दीप प्रकाशित होता है तो भीतर और बाहर दोनों आलोकित करता है | ज्ञान के प्रकाश की हमें हर पल हर क्षण जरुरत है | जहाँ ज्ञान का सूर्य उदित हो गया वहां अंधकार टिक ही नहीं सकता |
प्रयास हो की दीपावली पर ज्ञान के प्रकाश से भीतरी अंधकार मिटे
दीपावली पर्व की सार्थकता ही है प्रकाशित करना
दीपावली पर्व की सार्थकता के लिए हमें अपने अन्दर एक लौ प्रकाशित करना होगा क्योंकि दिया चाहे मन के अन्दर जले या मन के बाहर उसका काम तो उजाला देना ही है ,सो वह अवश्य देगा | दीपावली का सन्देश है, हम जीवन से कभी विचलीत न हों और न ही कभी पलायन की सोंचें ,उन सबसे अलग हटकर जीवन को परिवर्तन दें क्योंकि पलायन किसी भी समस्या का हल नहीं बल्कि बुजदिली की निशानी है |
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सुन्दर।
धन्यवाद