दीपावली पर जलायें विश्व एकता का दीप

– डॉ. जगदीश गांधी,
शिक्षाविद् एवं संस्थापक-प्रबन्धक,
सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ

(1) कितने भी संकट हो प्रभु कार्य समझकर विश्व एकता के दीप जलाये रखना चाहिए :-




कितने ही महान कार्य संसार में सम्पन्न हुए और व्यापक बने हैं, जिनके मूल में मनस्वी लोगों के संकल्प और प्रयत्न ही काम करते हैं। संकल्प और निश्चय तो कितने ही व्यक्ति करते हैं, लेकिन उन पर टिके रहना और अंत तक निर्वाह करना हर किसी का काम नहीं। विरोध, अवरोध सामने आने पर कितने ही हिम्मत हार बैठते हैं और किसी बहाने पीछे लौट पड़ते हैं, पर जो हर परिस्थिति से लोहा लेते हुए अपने पैरों अपना रास्ता बनाते हैं और अपने हाथों अपनी नाव खेकर उस पार तक पहुँचते हैं, ऐसे मनस्वी विरले ही होते हैं। मनोबल ऐसे मनस्वियों के साहस का नाम है, जो समझ-सोचकर कदम उठाते और उसे अपने संकल्प से पूरा करते हैं। नाविक क्यों निराश होता है! यदि तू हृदय निराश करेगा जग तेरा उपहास करेगा। यदि तूने खोया साहस तो ये जग और निराश करेगा, अरे अंधेरी रात के पार साहसी नव प्रभात होता है! आज विश्व एकता की शिक्षा की सर्वाधिक आवश्यकता है। इसलिए जीवन कितने संकटों से
घिरा हो विश्व एकता रूपी विचार के दीप जलाये रखना चाहिए।

(2) अन्धकार को क्यों धिक्कारे अच्छा है एक दीप जलायें :-




ताजी हवा के लिए अपने घर की खिड़की खुली रखनी चाहिए। इसी प्रकार संसार से ज्ञान लेने के लिए मस्तिष्क के कपाट खुले रखना चाहिए। यह युग की मांग है अन्धकार को क्यों धिक्कारे अच्छा है विश्व एकता के दीप जलायें। हमारे चारों ओर प्रकृति का आलोक बिखरा पड़ा है। इसे देखने के लिए अपनी आंखें खोलने की आवश्यकता है। अच्छाई का प्रकाश फैलाने के लिए अपने को समर्पित करने के लिए आगे आये। अन्धकार का कोई अस्तिव नहीं होता प्रकाश का अभाव ही अन्धकार है। हमें सारे संसारवासियों से प्यार करना चाहिए तथा लोक कल्याण की भावना से संसार में रहना चाहिए।

(3) वसुधा को कुटुम्ब बनाने का समय अब आ गया है :-




वर्तमान में सारा विश्व छः महाद्वीपों रूपी छः कमरों के घर की तरह सिमटता जा रहा है। वसुधा को कुटुम्ब बनाने की कल्पना साकार होने जा रही है। ऐसे परिवारों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है जिसमें जाति, धर्म, ऊँच-नीच, रंग-भेद का कोई अस्तित्व तथा अर्थ नहीं रह गया है। आधुनिक संचार माध्यमों ने विश्व की हजारों किलो मीटर की दूरियों को खत्म कर दिया है। मानव जाति को इस तीव्र संचार माध्यमों का शीघ्रता के साथ वसुधा को कुटुम्ब बनाने के लिए सदुपयोग करना चाहिए।

(5) हमारे प्रत्येक कार्य विश्व एकता तथा लोक कल्याण की सुन्दर कृति बने :-


हर व्यक्ति के अंदर से आवाज उठती है। इस आवाज का अस्तित्व अच्छे व्यक्ति तथा बुरे व्यक्ति दोनों में होता है। जिस काम को करने से विवेक रोके उसे नहीं करना चाहिए तथा जिस कार्य को करने को विवेक कहे उसे पूरे मनोयोग से करते हुए अपने प्रत्येक कार्य को विश्व एकता तथा लोक कल्याण की सुन्दर कृति बनाना चाहिए। जो प्रभु की इच्छा तथा आज्ञा को जान जाता है उसे धरती, आकाश एवं पाताल की कोई भी शक्ति प्रभु का कार्य करने से रोक नहीं सकती।

(4) जिन्दगी का सफर करने वाले अपने विश्व एकता का दीया तो जला लें :-


जगत भर की रोशनी के लिए करोड़ों की जिन्दगी के लिए सूरज रे जलते रहना, सूरज रे जलते रहना! हमेशा सोचिए! मैं भारत के लिए क्या कर सकता हूँ? मैं सारे विश्व के लिए क्या कर सकता हूँ? एक तरफ लोक कल्याण की ओर जाना वाला पथ है, एक तरफ एकमात्र अपने स्वार्थ की ओर जाने वाला पथ है। संसार में सदैव विश्व एकता अर्थात लोक कल्याण की उंगली पकड़कर चलना चाहिए। तभी हम भटकने से बच सकते है। जिन्दगी का सफर करने वाले अपने मन का दीया तो जला लें। रात लम्बी है गहरा अंधेरा, कौन जाने कहां हो सवेरा। रोशनी से डगर जगमगा लें, अपने मन में विश्व एकता का दीया तो जला लें। विश्व एकता की शिक्षा इस युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है। विश्व एकता की शिक्षा संसार का सबसे शक्ति हथियार है जिससे विश्व में सामाजिक परिवर्तन लाया जा सकता है। धरती से युद्धों तथा आतंकवाद को समाप्त करने के लिए विश्व एकता की शिक्षा को जन-जन तक पहुंचायें।

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