नाबालिग रेप – पीडिता को मिले गर्भपात कराने का अधिकार

दीपेन्द्र कपूर 

आजकल मीडिया, न्यूज़ पेपर ,टी वी चैनल्स पर एक न्यूज आग की तेजी से फैली हुई है 10 वर्ष की बच्ची के गर्भवती होने और कोर्ट के गर्भपात करने की इजाज़त नही दिए जाने की …! ये किसी नाबालिग के बलात्कार का पहला मामला नही है…ऐसे जाने कितने मामले न्यायालय में लंबित और विचाराधीन है…जो न्यायालय तक पहुचे हैं। और कितने ही ऐसे मामले हैं जो न्यायालय तक पहुंच ही नही पाते । खैर आइए जानते है ये पूरा मामला आखिर है क्या? …

मामा के हाथों छली गयी १० साल की ” गुडिया “
चंडीगढ़ में रेप पीड़ित एक 10 साल की बच्ची को जिला कोर्ट ने गर्भपात की इजाजत नहीं दी है। बच्ची 26 हफ्ते की गर्भवती है। बच्ची के रेप का आरोप उसके मामा पर है। उसके पिता सरकारी कर्मचारी हैं और मां घरों मेकाम करती हैं। इस मामले से कई मेडिकल विशेषज्ञ भी हैरान हैं कि इतनी छोटी सी उम्र में बच्ची गर्भवतीकैसे हो गई। उनका मानना है कि उम्र कम होने के कारण गर्भपात कराना ही सबसे उचित उपाय है वरना बच्ची को काफी समस्या हो सकती है।
क्या है कोर्ट के अधिकार 
कोर्ट के पास है अधिकारकोर्ट के पास मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी ऐक्ट के तहत 20 हफ्ते तक के भ्रूण को गिराने की इजाजत देने का अधिकार है। हालांकि, भ्रूण के जेनेटिक रूप से असामन्य होने पर 20 हफ्ते के बाद भी उसे गिराने की इजाजत दी जा सकती है। सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया, ‘बच्ची की अल्ट्रसाउंड रिपोर्ट्स के मुताबिक वह 6 माह की गर्भवती है। हमने कोर्ट में गर्भपात की इजाजत देने के लिए मेडिकल सलाह दी है।’ इलाके में यह इस तरह की पहली घटना नहीं है।
रोहतक का केस 
 रोहतक में मई में ही एक अन्य 10 साल की बच्ची के 18-22 हफ्तों की गर्भवती होने का पता चला था। इस उम्र में गर्भवती होना मुश्किल दौर की शुरुआता है | अमेरिकन सोसाइटी फॉर रीप्रडक्टिव मेडिसिन की सदस्य और जानी-मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ उमेश जिंदल का कहना है, ‘मेरी 40 साल की प्रैक्टिस में मैंने ऐसा केस कभी नहीं देखा। मैंने 13 साल की बच्ची को गर्भवती होते देखा है। अगर कोर्ट से इजाजत मिल जाती है तो भी इसका इलाज एक अनोखा मामला होगा। इसमें काफी जटिलताएं सामने आ सकती हैं इसलिए बेहतर होगा की गर्भपात कराया जाए।’ 
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञ बताते हैं कि पीरियड्स शुरू होने की सामान्य उम्र 13 साल है, लेकिन पिछले काफी समय से यह सीमा 8 साल तक पहुंच चुकी है। इसके बाद भी 10 साल की उम्र में गर्भवती होना न के बराबर ही पाया जाता है।गर्भपात नहीं कराया तो होगी समस्या डॉक्टरों के मुताबिक बच्ची के शरीर के लिए इस उम्रमें गर्भ धारण करना नुकसानदयाक हो सकता है। चंडीगढ़ के पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च के गाइनी डिपार्टमेंट की प्रमुख रश्मी बग्गा कहती हैं कि उन्होंने पहले कभी एक 10 साल की बच्ची के गर्भवती होने का केस नहीं देखा है। वह बताती हैं कि छोटी उम्र में प्रेग्नेंसी का पता चल पाना मुश्किल होता है मामला अत्यंत गंभीर है जो कि , माननीय कोर्ट के अंतिम फैसले के इंतेज़ार में है।कहते हैं कि मां बनना किसी भी महिला के लिए गर्व कीबात होती है. कम से कम हमारे बुजुर्गों ने तो यही सिखाया है हमें. गर्भवती महिलाओं के लिए तमाम तरीके, कायदे-कानून होते हैं और ये भी बताया जाता है कि बच्चों को कैसे संभालना है, लेकिन एक बात बताइए अगर किसी बच्चे को ही ये जिम्मेदारी दे दी जाए तो क्या होगा? क्या कोई 10 साल की बच्ची अपने बच्चे को संभाल पाएगी?
क्या कहता है कानून…
चंडीगढ़ की एक घटना है जहां डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 10 साल की एक रेप सर्वाइवर को अबॉर्शन करवाने से मना कर दिया. लड़की की प्रेग्नेंसी की अवधि 26 हफ्ते हो चुकी थी. उसका रेप उसके मामा ने ही किया था. कोर्ट का कहना है कि सिर्फ 20 हफ्ते तक ही कानूनी तौर पर किसी भी महिला को बच्चे अबॉर्ट करवाने की इजाजत होती है. क्या ये वाकई सही है? चलिए एक बार कानून को देख लेते हैं…क्या कहता है कानून…मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 के अंतरगत उन मामलों को बताया गया है जहां प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन कानूनी है. इस एक्ट के तहत अबॉर्शन सिर्फ किसी ऐसे डॉक्टर से करवाया जाए जिसके खिलाफ कोई केस ना हो. इसके अलावा, प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन सिर्फ इन मामलों में हो सकता है…
1.जहां प्रेग्नेंसी की अवधि 12 हफ्तों से अधिक ना हुई हो
.2.जहां दो या दो अधिक डॉक्टरों की परमीशन ली जा चुकी हो और प्रेग्नेंसी की अवधि 12 हफ्तों से 20 हफ्तों के बीच हो

.3.जहां महिला की जान को प्रेग्नेंसी से खतरा हो.

4.जहां महिला को या तो शारीरिक तौर पर या मानसिक तौर पर कोई नुकसान पहुंच सकता हो

.5.जहां बच्चे को कोई खतरा हो और जन्म लेने के बाद उसे किसी तरह की कोई बीमारी या मानसिक तकलीफ हो.यहां…
                                    1. प्रेग्नेंसी जिसमें मां की उम्र 18 साल से कम है वहां उसके लिए एक अभिभावक                                        होना चाहिए.
                                     2. अगर महिला का मानसिक संतुलन सही नहीं है तो भी उसके लिए एक                                                  अभिभावक होना चाहिए.अब इस मामले में कुछ बातों को समझाया गया है..                                               एक्टमें ये लिखा है कि रेप से पैदा हुआ बच्चा महिला के मानसिक संतुलन के लिए                                       सही नहीं है

.एक्ट में रेप का जहां जिक्र है…
‘pregnancy is alleged by the pregnant woman to have been caused by rape, the anguish caused by such pregnancy shall be presumed to constitute a grave injury to the mental health of the pregnant woman.'(यानी रेप की वजह से यदि प्रेग्नेंसी का हवाला दिया गया है, तो उससे होने वाले मानसिक तनाव को गर्भवती महिला के मानसिक स्वास्थ्य के लिए घातक समझा जाना चाहिए.)
                                            इसके अलावा, ये भी बताया गया है कि किसी मेडिकल डिवाइस के फेल होने के कारण या फिर ऐसे ही किसी कारण से प्रेग्नेंसी हुई हो और महिला के पहले से ही बच्चे हों, उस केस में भी अनचाही प्रेग्नेंसी से महिला को मानसिक तकलीफ पहुंच सकती है.पर ये कानून क्या ठीक है?

यहां एक बात समझ लीजिए अगर कानून है तो उसका सही से इस्तेमाल भी जरूरी है. कानून तो ये कहता है कि रेप से पैदा हुआ बच्चा मां के मानसिक संतुलन के लिए सही नहीं तो फिर ऐसे केस बार-बार क्यों देखे जाते हैं जहां किसी रेप पीड़िता को बच्चा पैदा करना ही होता है. एक 10 साल की छोटी बच्ची जो खुद को नहीं ठीक से संभाल सकती है वो आखिर बच्चा कैसे संभालेगी..।

(घटना की जानकारी के लिए,एवम तथ्यों के संकलन हेतु न्यूज़ पेपर और सोशल साइट्स की सहायता ली गयी)
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