–मृदुल
अपने घर के बैठकखाने में टयूषन पढ
रहे सात वर्ष लडका पढने के क्रम में रुककर बोला –”अब छुट्टी कर दीजिए सर।“
रहे सात वर्ष लडका पढने के क्रम में रुककर बोला –”अब छुट्टी कर दीजिए सर।“
‘क्यों’ शिक्षक ने पूछा।
सर अभी मेरी मौसी
आनेवाली है। वह बउआ को भी लाएगी। लडके का
आनेवाली है। वह बउआ को भी लाएगी। लडके का
चेहरा गुलाब की
तरह खिल उठा। शिक्षक और लडके के बीच हो रही इस वार्तालाप को लडके की माॅ सुन लिया । वह आज अपने काम से
जरा सवेरे लौट आयी थी। अपने लडके को वह दूसरों के
छोटे – छोटे बच्चों से खेलने देना कतई नहीं चाहती। पर लडका उसकी डाॅट –
फटकार की परवाह किये बगैर अक्सर पडोस के छोटे शिशु को गोद में लेकर खेलता – खेलाता रहता।
तरह खिल उठा। शिक्षक और लडके के बीच हो रही इस वार्तालाप को लडके की माॅ सुन लिया । वह आज अपने काम से
जरा सवेरे लौट आयी थी। अपने लडके को वह दूसरों के
छोटे – छोटे बच्चों से खेलने देना कतई नहीं चाहती। पर लडका उसकी डाॅट –
फटकार की परवाह किये बगैर अक्सर पडोस के छोटे शिशु को गोद में लेकर खेलता – खेलाता रहता।
माॅ लडके
को अच्छी पढ़ाई के बाद बड़ी नौकरी या बड़े व्यवसाय में देखना चाहती थी। इसके लिए
उसे वह अपने हिसाबसे पढने-लिखने, खेलने-कूदने देना
चाहती। शिक्षक से लडके की छुट्टी माँगने की जिद्द से वह खीझ गई। बैठकखाने में
दाखिल होते हुए बोली –”जी नहीं, आप अपने समय से इसकी छुट्टी करेंगे। देखती हूँ, आजकल पढाई में इसका बिल्कुल मन नहीं लग रहा है।
बदमाशी भी करता है। मुझको तो सुनता ही
नहीं।
”डाॅटिए तो
दुलारिये नहीं। बदमाशी करने पर हलकी चपत
लगा दिया कीजिए। यह आपका भी डर मानेगा।“शिक्षक ने सलाहदी।
दुलारिये नहीं। बदमाशी करने पर हलकी चपत
लगा दिया कीजिए। यह आपका भी डर मानेगा।“शिक्षक ने सलाहदी।
माॅ की आखें छलछला आयीं –”मैं इसे अपने से थोडा भी दंडित नहीं कर सकती। इसे डाॅटती भी
हूँ तो अंदर से घबरा जाती हूँ । बहुत मन्नतें माँगने के बाद, ईष्वर ने मुझे इसका मँुह दिखाया है।इसके प्रसव
के समय की पीडा याद आने पर मेरा कलेजा आज भी दहल जाता है। इसको जनने के बाद,समझिए, मैं तो मर ही चुकी थी। कितने रिष्तेदारों के खून चढाये जाने
के बाद मुझे होष आया था। उसी वक्त किसी ने बताया कि मैं दुबारा माँ नहीं बन सकती।
मैं चीखना चाही, तभी इसके पिता ने
इसे मेरी गोद में देकर मुझे अपने बाजुओं में थाम लिया।“
हूँ तो अंदर से घबरा जाती हूँ । बहुत मन्नतें माँगने के बाद, ईष्वर ने मुझे इसका मँुह दिखाया है।इसके प्रसव
के समय की पीडा याद आने पर मेरा कलेजा आज भी दहल जाता है। इसको जनने के बाद,समझिए, मैं तो मर ही चुकी थी। कितने रिष्तेदारों के खून चढाये जाने
के बाद मुझे होष आया था। उसी वक्त किसी ने बताया कि मैं दुबारा माँ नहीं बन सकती।
मैं चीखना चाही, तभी इसके पिता ने
इसे मेरी गोद में देकर मुझे अपने बाजुओं में थाम लिया।“
माॅ आँचल से अपनी
आँखें पोंछने लगी। लडका उठकर बाहर की ओर दौडा। उसे अपनी मौसी के पहुँच जाने की आहट
मिल गई थी। वह मौसी से झटपट शिशु को अपने
गोद में लेकर चहकने – कूदने लगा।
आँखें पोंछने लगी। लडका उठकर बाहर की ओर दौडा। उसे अपनी मौसी के पहुँच जाने की आहट
मिल गई थी। वह मौसी से झटपट शिशु को अपने
गोद में लेकर चहकने – कूदने लगा।
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