में सोते हैं तो सपने बिन बुलाये मेहमान की तरह आ जाते हैं, और सुबह होते ही
फुर्र से उड़ जाते हैं| अक्सर तो हमें याद भी नहीं रहते वो सपने जिन्हें पूरी रात
भर बड़ी शिद्दत से देखते हैं, पर आज मैं दिन में देखे जाने वाले सपनों की बात कर रही हूँ| वो सपने जो हम कुछ बनने के, कुछ करने के, कुछ पाने के देखते हैं| वो सपने जो खुली आँखों से देखे जाते हैं|
में कुछ करना चाहते हैं जिसका सपना हम मन ही मन पाले रहते हैं| आज के समय में
अगर आप डॉक्टर या इंजीनीयर, वगैरह-वगैरह बनना चाहते हैं तो समाज आप के सपने को सुनते ही ख़ारिज नहीं कर देगा| भले ही आप को सामाजिक दवाब झेलना पड़े पर लोग ये तो नहीं कहेंगे कि अरे, ये भी कोई काम है करने लायक?
जायेगी इससे| ये भी कोई काम है करने लायक| दो पैसे भी नहीं कमा पाओगे|” 16-17 की उम्र में आप डर जायेंगे और अपने सपनों को एक बक्से में बंद कर के लग जायेंगे
केमिस्ट्री की बेंजीन रिंग का फार्मूला याद करने में| आखिरकार इसी से तो निकलेगा
दो पैसे कमाने का रास्ता| पर अंदर ही अंदर आप निराश और कुंठित होंगे| इस कारण
न तो आप अपना सपना पूरा कर पायेंगे, न ही ठीक से केमिस्ट्री पढ़ कर अपने पिताजी का
सपना पूरा कर पायेंगे| फिर क्या? बेरोजगारों की लिस्ट में आप का भी नाम जुड़ जाएगा|
All your dreams will come true (In Hindi )
के प्रति दीवाने हैं, तो आपको उस काम को करने के लिए शुरूआती ताकत अपने अंदर से ही लानी होगी| जानिये कैसे-
सपनों को खुल कर बताने की हिम्मत करिए
पहले से ही डर जाते हैं कि पापा, या मम्मी, या भैया, या पड़ोस वाले अंकल जी, या चाचा
के ताऊ की बहन क्या कहेंगे |
सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग – संदीप माहेश्वरी
देखना चाहते हैं| हम सब उनकी ‘हाँ’ ना मिल पाने के भय के कारण अपने सपने कहते ही नहीं| हमें समाज की स्वीकृति चाहिए होती है| हमें लगता है जो सोसायटी कह रही है वही करना है क्योंकि वही सुरक्षित रास्ता है| यही सोंच कर बैठ जाते हैं सपनों को मार कर| इसलिए
सबसे पहले हिम्मत कर के सपनों को बताइए| यहाँ पर एक बात और है कई बार हम सोसायटी के कहने पर चुप इसलिए हो जाते हैं क्योंकि हमें खुद अपने सपने और अपने ऊपर विश्वास नहीं होता है| हमें लगता है कि अगर हमने अपना सपना शेयर किया और स्वीकृति मिल गयी, फिर उसे हम खुद ही पूरा न कर पाए तो? अगर ऐसा है तो ये वो सपना नहीं है जिसने आपकी नींद उड़ा दी है| ऐसे में सफलता मिलना मुश्किल है |
फर्स्ट रीएक्शन के लिए तैयार रहिये
है की आपने खुल कर अपने सपने के बारे में बात की तो सबने हाँ में हाँ मिला दी| उन
का पहला रीएक्शन ऐसा होगा की आप को लगे कि कह कर गलती की है| चलो वापस उसी पैटर्न
में लौट जाते हैं| मुझे याद है कि जब मैंने अपने पिताजी से कहा था कि मैं लेखक
बनना चाहती हूँ तो उन्होंने पहला शब्द यही
कहा था, “लेखक, ये भी कोई चीज है बनने की? लिख लो, चार दिन में ऊब जाओगी, कुछ
लिख नहीं पाओगी|” और मैंने लिख लिया, अपने दिमाग के पन्ने पर| आपको क्या लगा? यह सुनकर मुझे पढ़ लिख कर डिग्री पर डिग्री हासिल करना ठीक लगा? हम में से अधिकतर
लोग यही करते हैं| बस यहीं पर वो फंस जाते हैं| मैंने दिमाग के पन्ने पर लिखा कि अब मुझे लेखक ही बनना है| याद रखिये, जब सपना देखा है तो पूरा करने
में यह पहला अवरोध है| हिम्मत करके इसका सामना करिए| अवरोध खुद ब खुद गिर जाएगा| ये अवरोध तो आप को डराने के लिए हैं| अंदर जितना डर होगा, अवरोध उतना ही बड़ा लगेगा|
याद रखिये, शुरू में आप के सपने का कोई साथ नहीं देगा
आप ने अपने सपने को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाया ही है, तो याद रखिये कि शुरू
में आप का कोई साथ नहीं देगा| सबको अजीब लगता है कि कोई ऐसा सपना कैसे देख सकता है जो
उनके द्वारा स्वीकृत न हो| हालांकि शुरू का सहयोग सबसे ज्यादा मायने रखता है,
क्योंकि उस समय आप एक अनदेखी दिशा में कदम रखते हैं, बार–बार हिम्मत टूटती है| कई बार लगता है, कोई हो जो रास्ता बता दे या कम से कम मन की उहापोह को सुन ले| लेकिन आप ये उम्मीद जितनी जल्दी छोड़ देंगे उतना ही अच्छा होगा, क्योंकि उम्मीद
से आप अपनी हार का दोष दूसरों पर डाल देते हैं| आप कहते हैं, “अगर वो साथ होता तो…” या फिर हर रोज़ उम्मीद करके और निराश हो कर आप अपना मनोबल और कमजोर कर लेते हैं
जिस कारण आप नये काम को उतनी लगन से नहीं कर पाते जितना करना चाहिए| कोई भी नया
काम ज्यादा ऊर्जा मांगता है|
सपने
के मार्ग पर आगे बढ़ते जाइए| धीरे–धीरे सब साथ आते जायेंगे |
अगर आप का सपना पूरा नहीं हो रहा है तो-
पाए| आप वहीँ ठहर कर रह गए| फिर भी, घबराइये नहीं, यहाँ आप को देखना है कि आप के
काम में क्या कमी है जिस कारण आप सफल नहीं हो पा रहे हैं| उन कमियों को दूर करिए| हो सकता है, तब भी परिणाम आप के मन मुताबिक़ न आये, क्योंकि कई बार परिणाम आने में
देर लगती है| आप को बस लगे रहना है| देर-सवेर सफलता जरूर मिलेगी| कई बिजनेस तो
भरपूर लाभ देने की स्थिति में आने से पहले कई साल तक “नो प्रॉफिट/नो लॉस” में चलते हैं|
न रुकना है, न भागना है, बस चलते जाना है- संदीप माहेश्वरी
आप किसी भी उम्र में सपने देख व् उन्हें पूरा कर सकते हैं
सपनों के साथ कोई एज लिमिट नहीं है| न ही कोई एक्सपायरी डेट| फिर क्या? जिस उम्र में लगने लगे की सपने आँखों की नींद चुराने लगे हैं, जाग कर उन्हें
पूरा करने में लग जाइए| हो सकता है, आप उस समय कोई और नौकरी या बिजनेस कर रहे हों, तो उसे छोड़िये नहीं| अपने काम के साथ ये नया काम भी शुरू कर दीजिये| जैसे ही आप
को ये नया काम जमता हुआ दिखे, आप अपना जॉब छोड़ सकते हैं और पूरी तरह से अपने सपने को जी सकते हैं |
तो दोस्तों, आप की उम्र चाहे जो हो, जब आप सपने
देखने की हिम्मत करेंगे, उन्हें पूरे जोश से पूरा करने का प्रयास करेंगे, तो आप के
सपने जरूर पूरे होंगे| फिर आप भी उस ग्रुप में शामिल हो जायेंगे जो यह कहते हैं
कि, “सपने सच भी होते हैं|”
यह भी पढ़ें-
आपको लेख “सपने सच भी होते हैं … “ कैसा लगा | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट पोस्ट सीधे आपके email पर भेज सकें
बहुत सुंदर सारगर्भित लेख है।
धन्यवाद स्वेता जी