ज्ञान , भक्ति , कर्म योग और क्रिया योग ये सभी ईश को पाने का साधन हैं | साधक के मन में अक्सर ये प्रश्न उठता है कि इसमें श्रेष्ठ कौन है |
ज्ञान , भक्ति , कर्म और क्रिया योग में श्रेष्ठ कौन
एक बार की बात है चार युवक एक जंगल में जा रहे थे | उनमें से एक ज्ञान मार्ग का उपासक था , एक भक्ति मार्ग का , एक कर्म मार्ग का और एक क्रिया मार्ग का | वैसे तो ये चारों अलग -अलग ही रहते थे क्योंकि हर कोई अपने मार्ग को बेहतर समझता था |
ज्ञान मार्ग का उपासक जो बुद्धि पर ज्यादा जोर देता है , उसके अनुसार हर बात तर्क से सिद्ध होनी चाहिए | वो दूसरे मार्ग का अनुसरण करने वालों को हेय दृष्टि से देखता है , उसे लगता है कि दूसरे सब मूर्ख हैं क्योंकि असली रहस्यों से तो वो उलझता है |
भक्ति मार्ग का उपासक अन्य मार्ग वालों पर तरस करता है उसे लगता है कि जब ईश्वर को आसानी से प्रेम करके पाया जा सकता है तो ये सारे नादान लोग अलग -अलग दिशाओं में क्यों भटकते हैं
कर्म योगी को ये सभी आलसी लगते हैं उसके अनुसार बिना अन्न उपजाए , घर साफ़ किये , भोजन बनाये ये दुनिया चल ही नहीं सकती , ये सब तो आलसी हैं , कुछ करना चाहते नहीं हैं इसलिए ज्ञान , भक्ति और क्रिया में उलझे रहते हैं |
क्रिया योगी ये मानता है कि ईश्वर को पाने का उपाय यही है कि उर्जा को ऊँचे तल में ले जाया जाए | अब उर्जा उच्च तल में कैसे जायेगी इसके लिए ध्यान , नियम आदि करने पड़ेंगे | यही क्रिया है | इसके बिना मुक्ति संभव नहीं , अब बैठे बिठाये भजन करने से या ज्ञान बांटने से तो ये होने से रहा |
तो इस प्रकार ये सब अपने मार्ग पर चलते हैं कभी साथ नहीं रहते | परन्तु संयोग ऐसा बना कि जंगल में चारों साथ थे | तभी तेज आंधी के साथ तूफानी बारिश आई | वो सब आश्रय की तलाश में चल पड़े | पर जंगल में आशय मिलना मुश्किल था | तभी एक प्राचीन मंदिर दिखाई दिया | मंदिर टूटा फूटा था …. पर बारिश से बचने के लिए वो वहीँ चले गए | पर यहाँ भी बारिश आ रही थी | वो मूर्ति के पास बैठ गए , कुछ छींटे अभी भी पड़ रही थीं | वो मूर्ति से और चिपक कर बैठ गए | उनका उद्देश्य केवल बारिश से बचना था |
तभी ईश्वर प्रकट हो गए |
चारों आश्चर्य में पड़ गए | सबको लगा कि अभी तो हम कुछ कर भी नहीं रहे थे , फिर ईश्वर आज प्रकट कैसे हुए वो पहले प्रकट क्यों नहीं हुए जब हम अपने -अपने तरीके से उन्हें पाने का प्रयास कर रहे थे |
ईश्वर बोले , ” आश्चर्य में मत पड़ों | आज मेरे प्रकट होने का कारण ये है कि तुम चारों इकट्ठे हो | तुममें कोई विरोध नहीं है …. मुझे पाने के लिए इसी संयोग की जरूरत है |
मित्रों ये कहानी हमने ईशा फाउंडेशन के प्रवचन से ली है | जब सबमें समदर्शना आ जाये | जब अपने मार्ग स विपरीत मार्ग छोटा न लगे तभी ईश्वर की प्राप्ति संभव है |
अटूट बंधन परिवार
यह भी पढ़ें …
भाग्य में रुपये
चोंगे को निमंत्रण
चार साधुओं का प्रवचन
किसान और शिवजी का वरदान