इस कहानी को पढ़कर एक खूबसूरत कविता की पंक्तियाँ याद आ रहीं है |
“उठो द्रौपदी वस्त्र संभालो , अब गोविन्द ना आयेंगे “
वायरल हुई इस कविता में यही सन्देश था कि आज महिलाओं और खासकर बच्चियों के प्रति बढती यौन हिंसा को रीकने के लिए अब हमारी बच्चियों को अबला बन कर किसी उद्धारक की प्रतीक्षा नहीं करनी बल्कि शक्ति रूपा बन कर स्वयं ही उनका संहार करना है |
शक्ति रूप
सोलह साल की नाबालिग लड़की जंगल में लकड़ी बीनने जा रही थी। जरूर कोई मजबूरी रही होगी। नहीं तो आज के समय में ऐसी कौन-सी माँ होगी, जो बेटी को खतरों से खेलने के लिए छोड़ दे। लेकिन आज सचमुच खतरा मंडरा रहा था। वह जंगल में थोड़ा अंदर पहुँची , तभी इंसान रूपी दो भेड़ियों ने उस लड़की को घेर लिया। लड़की तत्क्षण समझ गई कि आज उसकी इज्जत जाएगी और शायद जान भी। लड़की बचने का उपाय खोजने लगी। सबसे पहले उसने दया की भीख मांगी। उसने कहा, ‘‘भगवान के लिए मुझे छोड़ दो। एक अबला की इज्जत से न खेलो। वो तुम्हारा भला करेगा।’’
संवेदनहीन भेडियों पर इस अनुनय-विनय का कोई असर नहीं हुआ। वे लड़की तरफ बढ़ने लगे। लड़की दो कदम पीछे हटी। उसने चिल्लाना शुरू किया, ‘‘बचाओ ! बचाओ !!’’ शहर में जहां हृदय-युुक्त प्राणी रहते हैं, वहां उसकी गुहार न सुनी जाती, तो यहां जंगल में उसकी सुनने वाला कौन था। लड़की का यह प्रयास भी व्यर्थ गया। अब उसने पुलिस का नाम लेना शुरू किया। उसने दरिंदों को डराते हुए कहा, ‘‘तुम बचोगे नहीं। पुलिस अब बहुत चैकन्नी हो गई है। वो तुम्हें ढूंढ़ निकालेगी और तुम्हें कड़ी सजा देगी।’’
भेड़िया अट्टहास करने लगे। उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस में इतनी ताकत कहां ? दूसरे, हम कोई साक्ष्य छोड़ेंगे तब न !’’
भेडियों ने उसे अपनी गिरफ्त में लेने के लिए पंजा मारा। लड़की झटके से फिर चार कदम पीछे हटी। उसने मां-बेटी का हवाला देना शुरू किया। उसने कहा, ‘‘तुम्हारे घर में मां-बेटी नहीं हैं क्या ? क्या मैं तुम्हारी छोटी बहन की तरह नहीं हूं ?’’
भेड़िया विद्रूप हंसी हंसने लगे। जैसे कह रहे होें, भेड़िया और मानवीय रिश्ता ? हुंह !
खुद को बहन कहने का यह प्रयास भी व्यर्थ गया। लड़की अब रोने लगी। वह गिड़गिडा़ती रही, चिल्लाती रही। मगर यह सब इन निष्ठुरों पर चिकने घड़े पर पानी के समान था। अब वह उनकी पकड़ में आने ही वाली थी।
तभी पीछे एक पहाड़ी आ गई। लड़की को पहाड़ी पर चढ़ भागने का मौका मिल गया। वह पहाड़ी पर तेजी से काफी ऊपर चढ़ गई। वे दरिंदे भी पहाड़ी चढ़ने लगे। लड़की फिर घबराई। वह थक चुकी थी। उसे लगा, अब वह पकड़ी जाएगी। तभी उसने देखा, पहाड़ी पर बड़े-बड़े कई पत्थर पड़े हैं। अब उसने ताकत दिखाने की सोची। उसने पाया, आज उसकी साहस और शक्ति ही उसकी रक्षा करेगी। वह ऊपर से चिल्लाई, ‘‘रुक जाओ पापियो ! आगे बढ़े तो मैं ये पत्थर तुमपर गिरा दूंगी !’’
भेड़िये डरे नहीं और आगे बढ़ते रहे। लड़की अब शक्ति रूप में आ गई। उसने कई पत्थर नीचे ढकेल दिए। अब भेड़ियों को बचने और भागने की बारी थी। वे बचते-बचते नीचे की तरफ भागने लगे। इधर लड़की पत्थर-पर-पत्थर गिराती चली गई। थोड़ी ही देर में भेड़िये आंखों से ओझल थे। शक्ति रूप की जीत हुई थी। कुछ देर इंतजार के बाद लड़की निश्ंिचत होकर नीचे उतर आई।
ज्ञानदेव मुकेश
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प्रेरणादायक कहानी। सूझबूझ से अपनी इज्जत बचाई जा सकती हैं।