दो पौधे

बोध कथाओं में जीवन की जल्तिल बातों को सच्चे सरल ढंग से सुनाने का प्रचलन रहा है | अब जीवन की जटिलता बढ़ी है और नयी बोध कथाओं की भी | दो पौधे एक ऐसी ही कथा है |

दो पौधे 

या कहानी है दो बच्चों सोहन और मोहन की जो पड़ोस में रहते थे |  दोनों के घर एक गुरूजी आया करते थे | एक बार गुरूजी ने दो छोटे -छोटे गमले दोनों बच्चों को दिए | और उनके शयन कक्ष की खिड़की के बाहर रखवा दिए | गुरूजी ने कहा कि रोज सुबह जो पौधा पसंद हो उस पर पानी दो और जो ना पसंद हो उसे छोड़ दो, ताकि व्ही पौधा बढे जो तुम्हे पसंद हो | पर खिड़की से ही पानी डालना है | दोनों बच्चों ने हाँ में सर हिला दिया | मोहन ने ध्यान से पौधों के देखा और पसंद के पौधे पर रोज पानी डालने लगा | सोहन को ये काम बेकार सा लगा उसने सोचा कोई भी पौधा बढे है तो पौधा ही क्या  फर्क पड़ता है | वो रोज अनजाने में अंदाज से ही पानी दाल देता |

एक रात जब वो सो रहा था तो उसके हाथ में बहुत तेजी से कुछ चुभा | उसने लाईट जला कर देखा नागफनी का पौधा खिड़की से निकल कर उसके कमरे में आ गया था | उसने काँटा निकाल कर दवाई लगा ली | दूसरे दिन जब वो मोहन को रात की घटना बताने गया तो देखा मोहन की खिड़की पर सूरज मुखी का फूल लहलहा  रहा है | और मिओहन उसे बहुत प्रेम से देख रहा है |

सोहन का मन उदास हो गया | उसे लगा अगर गुरूजी उसे पहले ही बता देते तो वो भी सूरजमुखी के पौधे को पानी देता और उसे  चोट भी नहीं लगती | अगली बार जब गुरूजी आये तौसने यही बात गुरूजी से कही |गुरूजी ने कहा की जाओ मोहन को भी बुला लाओ तब बताता हूँ |

सोहन दौड़ कर मोहन को बुला लाया |

गुरूजी ने मोहन से कहा कि तुम्हे भी मैंने एक पौधा नागफनी का दिया था और एक सूरज मुखी का फिर तुम्हारा नागफनी का पौधा क्यों नहीं उगा |

मोहन ने उत्तर दिया कि जब पौधे थोड़े थोड़े बड़े हो रहे थे तभी मैंने देख लिया और उसे पानी देना  छोड़  दिया |

सोहन ने सर झुका कर कहा, ” मैं बिना देखे ही पानी देता रहा” |

गुरूजी ने कहा कि ये पौधों में पानी देना तो मैंने एक गंभीर बात समझाने के लिए किया था |

जिस तरह बिना देखे गलत पौधा बढ़ जाता है उसी तरह हमारा जीअवन भी गलत दिशा में बढ़ सकता है | नागफनी के पौधे की तरह चुभ सकता है |

“वो कैसे?” दोनों बच्चों ने पूछा |

अगर हम गलत विचारों भावनाओं को पानी देते चले जायेंगे तो वैसे ही लोग हमारे चरों और इकट्ठे होते जायेंगे |

दुश्मनी के विचारों को पानी देने पर दुश्मन इकट्ठे होंगे |

प्रेम के विचारों को पानी देने पर दोस्त आस पास इकट्ठे होंगे |

“पर विचारों को पानी कैसे दिया जाता है गुरूजी ?” बच्चों ने पूछा |

उनके बारे में निरंतर सोच कर, उन पर फोकस कर के | २४ घंटे जो ज्यादा सोचते हो जीवन वैसा ही होता चला जाएगा | मेहनत पर फोकस करोगे और म्हणत करने के अवसर सामने आयेंगे और आलस पर तो हाथ का काम भी छिन जाएगा | दोस्त पर फोकस करोगे तो दोस्त बढ़ेंगे और दुश्मनों पर फोकस करोगे तो दुश्मन |घन पर फोकस करोगे तो धन आएगा और निर्धनता पर ( यानी ककी धन खो जाने के भय से ग्रस्त ) फोकास करोगे तो निर्धनता आएगी |

बच्चों को बात समझ में आने लगी कि केवल सही पौधे को पानी ही नहीं देना है ….सही विचारों को भी पानी देना है |

( यथा दृष्टि तथा सृष्टि के आधार पर )

आपको प्रेरक कथा “दो पौधे” कैसी लगी ? अपने विचारों से हमें अवगत कराये | अगर आपको अटूट बंधन की रचनाएँ पसंद आती है तो साइट को सबस्क्राइब करें और हमारा फेसबुक पेज लाइक करें ताकि रचनाएँ सीधे आपको मिल सकें |

filed under- motivational stories, friends, focus, thought, thought of life

 

Leave a Comment