लव इन लॉकडाउन -कोविड -19 फर्स्ट वेव में पनपते प्रेम की दास्तान

लव इन लॉक डाउन

इस दुनिया की सबसे खूबसूरत शय है प्रेम .. प्रेम जिसके ऊपर कोई बंधन नहीं है |न धर्म का ना जाति का न उम्र का न सरहद का और ना ही लॉक डाउन का | लॉकडाउन एक ऐसा शब्द जिससे एक साल पहले तक हममें से कोई वाकिफ भी नहीं | 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के साथ हमने जाना कि सब कुछ थमना क्या होता है | पर उस दिन यही लगा कि यह किसी व्रत की तरह है | एक दिन का संकल्प लिया है .. हो जाएगा | फिर शुरू हुआ लॉक डाउन और हमनें असलियत में देखा, रुकी हुई सड़कें, रुकी हुई रेले, रुके हुए हवाई जहाज और रुका हुआ देश ,,,, एक अजीब स भय, अजीब स सन्नाटा हम सब के मन पर छाया हुआ था पर ऐसे में भी प्रेम क्या रुका है ? क्या रुक सकता है ? लव इन लॉकडाउन -कोविड -19 फर्स्ट वेव में पनपते प्रेम की दास्तान इस खूबसूरत कल्पना के साथ सुपरिचित लेखक श्यामजी सहाय एक उपन्यास ले कर आए हैं “लव इन लॉक डाउन ” बहुत ही खूबसूरत कवर वाले इस उपन्यास को पढ़ने से वो लोग शायद खुद को ना रोक पाएँ जिन्हें प्रेम कहानियाँ पसंद हैं | पर ये उपन्यास मात्र एक प्रेम कहानी ही नहीं है ये तीन मुख्य बिंदुओं पर टिका है | एक लव और दूसरा लॉक डाउन | लेकिन इसमें एक मुख्य किरदार घुमंतू बाबा भी हैं | इस उपन्यास पर बात करते समय इसके तीनों मुख्य बिंदुओं पर अलग- अलग बात करनी पड़ेगी | जब हम इसको इस तरह से पढ़ेंगे तो कवर पेज पर दो की जगह तीन दिल बनाने का मतलब भी समझ आ जाएगा| लॉक डाउन – ये कहानी शुरू होती है जनता कर्फ्यू वाले दिन यानी 22 मार्च 2020 से जब कहानी के नायक अमन का अट्ठारवाँ जन्मदिन है | वो इसे सेलिब्रेट करना चाहता है पर जनता कर्फ्यू लग जाता है | इसके बाद उपन्यास जनता कर्फ्यू, लॉक डाउन , घंटे बजाना, दीपक जलाना जैसे कार्यक्रमों के साथ आगे बढ़ते हुए भय के माहौल के साथ लॉक डाउन और अन्लॉक की एक -एक प्रक्रिया से रुबरु कराता चलता है | किस तरह से मामूली खांसी जुकाम को कोविड समझ कर अस्पताल में भरती कर दिया जाता है और दो बार निगेटिव रिपोर्ट आने पर ही डिसचार्ज किया जाता है | भय के आलम में लोग घर के अंदर ही मास्क लगा रहे हैं | सोशल डिस्टेंसिग कर रहे हैं | सोशल डिस्टेंसिग इमोशनल डिस्टेंसिग में बदल रही है | कहने का तात्पर्य ये है कि इसमें लॉकडाउन से जुड़ी छोटी बड़ी घटना को इस तरह से पिरोया गया है कि वो कहानी का हिस्सा सा लगता है | हम लोगों ने ये समय देखा है कहानी पढ़ते समय भोगे हुए दृश्यों की एक रील सी मन में चलने लगती है | इस हिस्से को हम लॉकडाउन डायरी कह सकते हैं | मुझे लगता है भविष्य की पीढ़ी जब लॉक डाउन के जानना चाहेगी तो इस किताब से उसे बहुत मदद मिलेगी | घुमंतू बाबा एक कहानी का एक मुख्य किरदार हैं | जिनका प्रवेश कहनी के पंद्रहवें एपिसोड में होता है | घुमंतू बाबा का असली नाम ज्ञानी दुबे है वो अकेले न्यूनतम सुविधाओं के साथ रहते हैं | अविवाहित हैं | उनके पास हर विषय का ज्ञान है |और ज्यादातर बातों का सटीक उत्तर देते हैं | इसलिए वो सबके प्रिय है | महत्वपूर्ण बात ये है कि इनका ज्ञान उबाऊ और नीरस नहीं लगता | इसका कारण है घुमंतू बाबा की साफगोई और रोचक शैली | कहानी के ये पात्र ऐसा है कि उनकी एक दो बातों से असहमत होते हुए भी आप उनके ज्ञान से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाएंगे | अब आते कहानी के तीसरे अहम बिन्दु यानी लव पर .. ये कहनी तीन प्रेम कहानियों को एक साथ ले कर चलती है | अमन -सोनी, हरप्रीत -सुदीप व रोहन और शेफाली | तीनों का प्रेम अलग प्रेम का तरीका अलग |तीनों की पृष्ठ भूमि अलग इन अलग पारिवारिक पृष्ठ भूमि का असर नायिका के स्वभाव पर पड़ना स्वाभाविक है हरप्रीत-सुदीप की जोड़ी में हरप्रीत बहुत शोख चंचल है और प्रेम के समय में बहुत लाउड भी | दोनों खुश हैं पर हरप्रीत की एक बैक स्टोरी भी है | फौजी की बेटी हरप्रीत की माँ का चरित्र आम भारतीय महिलाओं से अलग है | उनके पति यानी हरप्रीत के पिता से सालों की दूरी और उनके पिता का प्रेम के पलों में वहशी हो जाना उन्हें तकलीफ देता रहा है .. जिस कारण वो स्वयं तृप्ति की अंधेरी गलियों में भटकती हैं | परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बनती हैं कि सुदीप को हरप्रीत पर शक हो जाता है | ऐसे में माँ का अपनी बेटी भारतीय संस्कृति की शिक्षा देना अजीब लगता है | बाद में परिस्थितियों का यू टर्न स्वागत योग्य है | रोहन और शेफाली में शेफाली ज्यादा चंचल है शेफाली विधवा स्त्री की बेटी है और हौले से प्रेम कहानी आगे बढ़ती है| तीसरी और सबसे अहम जोड़ी कहानी के नायक अमन और सोनी की है | अमन आई आई टी दिल्ली का फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट है और सोनी दिल्ली में हॉस्टल में रहकर 12 th कर रही है | वे क्रमश:18 और 16 साल के हैं | दोनों पटना में एक घर छोड़ कर रहते हैं पर घंटी/घंटा बजाने के दौरान (लॉकडाउन में ) पहली बार एक दूसरे को देखते हैं | आँखों -आँखों में प्रेम की चिंगारी फूटती है और प्रेम वहाट्स ऐप चैट के माध्यम से आगे बढ़ता है | दोनों संस्कारी परिवार के शुचितवादी हैं और प्रेम शुचिता के साथ परवान चढ़ने लगता है | हर काल में हर तरह का प्रेम मौजूद रहता है | आधुनिक काल में भी उसे नकारा नहीं जा सकता | लेखक ने प्रेम में शुचिता को दिखाने के लिए परिपपक्व भाषा व पुराने गानों का प्रयोग किया है | जैसे चंदन सा बदन चंचल चितवन .. गदराया बदन, उससे युवा पाठक शायद न कनेक्ट कर पाए| क्योंकि शुचिता वादी प्रेम भी अभिव्यक्ति के स्तर पर बदल चुका है | दादी के दवाब में इस उम्र सगाई … Read more

बोलती का नाम गाड़ी

गाड़ी

इस कोरोनाकाल में लॉकडाउन से हम इंसान तो परेशान हैं   ही  हमारी गाड़ियां  भी खड़े खड़े उकता गईं हैं | उन्ही गाड़ियों  की व्यथा कथा को व्यक्त करती एक रोचक कहानी .. बोलती का नाम गाड़ी लाक आऊट के लंबे दिन और रातें सन्नाटे में घिरी। दिल्ली का शानदार मोहल्ला,आदमी कम, कारें ज्यादा। ससुरजी की गाड़ी,सासु जी की, बेटेकी और बहू की अलग अलग। सुबह पिता आफिस चले जाते। बेटा साथ नहीं जा सकता,देर तक सोने की आदत। पिता बड़बड़ाते हुए ड्राइवर के साथ चले जाते। मां बेटे का पक्ष लेती। जवान बेटा है,देर तक सोने दो। बेटा जी देर से उठते, जब तक नाश्ता करते, फैक्ट्री का लंच टाइम हो जाता। माता जी सत्संग में जाती। बहू के पास सैकड़ों काम-पार्लर, जिम जाना और शाम को किटी पार्टी। लाक डाऊन के कारण बाहर निकलना बंद हो गया। दिन भर बरतन, झाड़ू पोंछा। बर्तनों के खड़कने के साथ साथ सास बहू कड़ कड़ करतीं। सारी कारें आड़ी तिरछी खड़ी हैं। पार्किंग को लेकर अक्सर महाभारत होता रहता है। आजकल सारी गतिविधियों पर विराम लगा है,सो सारी कारें मीटिंग कर रही हैं। टेरेनो कांख कर बोली-‘हम तो सुस्ता सुस्ता कर थक गए।‘ स्कार्पियो बोली-‘खडे खड़े कितनी धूल जम गयी है।‘ बोलेनो ने कहा-‘हाय,मुझसे तो बदबू आ रही है‘ सबने मुंह सिकोड़ा और स्वीकार किया कि कई दिनों से न नहाने की वजह से ऐसा हुआ। इगनिस ने अपना दुखड़ा रोया-‘कितना अच्छा लगता था,जब मैं नहा धो चमकती हुई मैडम का इंतजार करती थी। मैडम नीचे उतरकर मुझे स्टार्ट करती। मैं भी बिना आवाज किए चल पड़ती। कितने मुलायम हाथों से स्टीरिंग घुमाती।आह। अब तो कालेज बंद है। वे तो आनलाइन पढ़ा रही है,पर मैं तो खड़ी हूँ।        ‘तभी तुझे परदे के पीछे छिपा दिया गया।सारी गाडियां खी खी करने लगी। टोयोटा, इनोवा ने अपना ज्ञान बघारा-‘सब मोदिया ने किया है, पेट्रोल बचाने के लिए।‘ ‘नही, स्विफ्ट ने बात काटी-‘केजरीवाल ने किया है। प्रदूषण के कारण उसकी खांसी रुक नहीं रही थी। अपनी खांसी के कारण हम पर ज़ुल्म किया।‘ वार्ता दिल्ली में चल रही थी, इसलिए सबके पास राजनीतिक ज्ञान का भंडार था। लाल रंग की पजेरो अपने को दादा समझती थी,को गुस्सा आ गया। वैसे भी लाल रंग गुस्से का प्रतीक है। दहाड़ कर बोली -‘चुप करो तुम सब,जो मन में आया,बक देती हो। अच्छा,तुम्हीं बताओ, सर्वज्ञान वाली। मेरे मालिक गाड़ी में न्युज सुनते हैं,तभी समझ में आया। पड़ोस का मुल्क चीन है। वहीं बीमारी का वायरस भेजा है। फोर्ड फियस्टा बोली-‘कोई बीमारी भेजता है। फूल या मिठाई भेजते हैं। इसके कारण हम सबको खड़ी कर दिया गया।‘ सबने हाँ में हाँ मिलाई। हुंडई बोली-‘खडे खड़े बदन पिरा गया।‘ वैगन आर ने कहा-‘मेरे तो टायर ही बैठ गए।‘ बैटरी डाऊन होने की बात सबने स्वीकारी। लाक आऊट खुलने पर सब हस्पताल जाओगी। मतलब मैकेनिक के पास। यह महामारी छूत से फैलती है। इसीलिए सबको बाहर निकलने से मनाही है। पजेरो ने समझाया। मारुति अर्टिगा ने कहा-हां,एक लड़का फरारी में जा रहा था, पुलिस ने पकड़ कर उठक बैठक करवाई।‘ ‘हाय,बिचारी फरारी,उसकी तो नाक ही कट गई’ मारुति ८०० बोली। ‘अब सरकार की बात नहीं मानोगे तो यही होगा। कहावत है कि ‘सटेला तो मरेला‘ अरे यह तो हम गाड़ियों के लिए है। तनिक दूरी बनाये रखें नहीं तो भिड़न्त हो जायेगी। सबने एक स्वर में कहा। ‘अब यही बात मनुष्यों के लिए है’ पजेरो ने बात खत्म की। सुबह जब चौकीदार आया, उसे घोर आश्चर्य हुआ, सारी गाड़ियां कतार में एक मीटर के फासले से खड़ी थीं।   आशा सिंह Attachments area ReplyForward