“प्यासा कौवा “फिर से /pyasa kauva fir se

प्यासा कौवा फिर से

 

दोस्तों , आप सब ने एक कहानी पढ़ी होगी ” thirsty crow ” या प्यासा कौवा | जिन्होंने नहीं पढ़ी उन्हें बता दें की

 

एक बार एक कौवा बहुत प्यासा था | पर दूर – दूर तक कहीं पानी का निशान नहीं था | अचानक उसे एक घडा दिखाई दिया पर उसमें पानी बहुत कम था | कौवे ने दिमाग लगाया और आस – पास पड़े पत्थर उसमें डालने लगा | थोड़ी देर में पानी ऊपर आ गया | कौवे ने पानी पिया और उड़ गया … फुर्र से |

पर आज की कहानी थोड़ी अलग है हुआ यूँ की टीचर  ने  क्लास में आकर बच्चों से कहा की इस कहानी का दूसरा अंत क्या हो सकता है | सब अपनी – अपनी कॉपी में लिखो |सबसे अच्छा अंत लिखने वाले बच्चे को चॉकलेट  इनाम में दिया जाएगा |
 बच्चे लिखने लगे | जब टीचर के पास copies आयीं तो  teacher ने देखा की ज्यादतर बच्चों ने लिखा की पानी इतना ऊपर नहीं आया की कौवा पी सके , या पानी पीते समय घडा हिल गया और वो पानी भी गिर गया | लिहाज़ा कौवा प्यासा  ही रहा | और तड़प – तड़प कर मर गया |

                एक बच्चे ने लिखा की कौवे ने थोड़ी दूर आगे खोजा | पर पानी न मिला तो निराश हो बैठ गया और मर गया | मसलन ये की class के ९९ % बच्चों ने कहानी अंत नकारत्मक कर दिया | केवल दो बच्चों ने कहानी का अंत सकारात्मक किया | उनमें से एक बच्चे ने लिखा की कौवे ने वहीं स्ट्रॉ ढूंढ ली और थोडा सा पानी पी लिया |पर रोहित की कॉपी पर teacher ठिठक गयीं | 

रोहित ने लिखा था की घड़े में पानी इतना कम था की कंकड़ डालने के बाद भी कौवा घड़े से जब पानी नहीं पी पाया तो उसने सोंचा की ऐसे भी मरना है और वैसे भी तो क्यों न और पानी ढूढने की कोशिश की जाए |  उसने अपने पंखों में पूरी दम लगा कर उड़ान भरी | हालंकि सूरज  तप रहा था और उसकी देह जल रही थी , पर उसने कोशिश नहीं छोड़ी | वह उड़ता गया उड़ता गया | आखिर कार वो ऐसे जगह पहुँच गया जहाँ पानी  का झरना  बह रह था | उसने भर पेट पानी पिया | थोडा पंखों पर छिड़का | और गीली हवाओं का पूरा  आनंद  लिया | ये जीत उसको इस लिए मिली क्योंकि उसने ” करो या मरो ” सोंच कर कोशिश की थी | अंत में रोहित ने कहानी का शीर्षक लिखा …

                     “कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ” 

कहने की जरूरत नहीं की जीत की चॉकलेट रोहित को ही मिली | क्योंकि उसने न सिर्फ सकारात्मक अंत किया था | बल्कि ये भी सिखाया की कोई भी असफलता आखिरी नहीं होती | उसके बाद फिर प्रयास किये जा सकते हैं और जीत हांसिल की जा सकती है |

वंदना बाजपेयी

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