सिर्फ ऋतुएं ही नहीं
बदलती | ऋतुओ की तरह जमाने भी बदलते हैं | यह चक्र यूँहीं चलता रहता है | पुराने से
नया , नए से और नया , वगैरह –वगैरह | मुझे याद आ रहा है हेमामालिनी द्वारा पर्दे
पर अभिनीत “ नया जमाना “मूवी का पुराना
गाना “ नया जमाना आएगा …. “ यह बहुत पुरानी सत्तर के दशक की मूवी है | पर सच में
आ ही तो गया | अरे भाई ब्रांडेड का ज़माना आ ही तो गया | पिछले कई सालों से
ब्रांडेड का खूनी पंजा हमें जकड़ता ही जा रहा है | जहाँ जाओ वहीँ ब्रांडेड | यह
शब्द सुन –सुन कर मेरा सर चकराने लगा है | यह शब्द इतना पापुलर हो गया है कि सर चढ़
कर बोलने लगा है | हर घर में सुबह से शाम तक भगवान् का नाम भी इतना नहीं लिया जाता
है जितना की इस शब्द का उच्चारण किया जाता है | आज आलम यह है कि जो जितना ब्रांडेड
सामान का उपयोग करेगा वो उतना ही आधुनिक और उच्चवर्गीय कहलायेगा | चाहे वो झूठ ही
क्यों न हो , सडे गले कपड़ों को भी अगर कोई
ब्रांडेड कह दे तो हमारे मुँह में चमक आ जाती है | और हम उसे फैशन समझ कर उस
व्यक्ति की सराहना करते हैं |
बदलती | ऋतुओ की तरह जमाने भी बदलते हैं | यह चक्र यूँहीं चलता रहता है | पुराने से
नया , नए से और नया , वगैरह –वगैरह | मुझे याद आ रहा है हेमामालिनी द्वारा पर्दे
पर अभिनीत “ नया जमाना “मूवी का पुराना
गाना “ नया जमाना आएगा …. “ यह बहुत पुरानी सत्तर के दशक की मूवी है | पर सच में
आ ही तो गया | अरे भाई ब्रांडेड का ज़माना आ ही तो गया | पिछले कई सालों से
ब्रांडेड का खूनी पंजा हमें जकड़ता ही जा रहा है | जहाँ जाओ वहीँ ब्रांडेड | यह
शब्द सुन –सुन कर मेरा सर चकराने लगा है | यह शब्द इतना पापुलर हो गया है कि सर चढ़
कर बोलने लगा है | हर घर में सुबह से शाम तक भगवान् का नाम भी इतना नहीं लिया जाता
है जितना की इस शब्द का उच्चारण किया जाता है | आज आलम यह है कि जो जितना ब्रांडेड
सामान का उपयोग करेगा वो उतना ही आधुनिक और उच्चवर्गीय कहलायेगा | चाहे वो झूठ ही
क्यों न हो , सडे गले कपड़ों को भी अगर कोई
ब्रांडेड कह दे तो हमारे मुँह में चमक आ जाती है | और हम उसे फैशन समझ कर उस
व्यक्ति की सराहना करते हैं |
सब पर चढ़ा ब्रांडेड का बुखार
किसी आम घर का दृश्य देखिये
|” मम्मी आपने मेरी जींस कहाँ रख दी , “बेटी नीरा जोर से अपने कमरे से चिल्ल्लाई |
अरे कौन सी माँ सविता अपने आटे से सने हाथ पोंछते हुए बोलीं | बेटी का जवाब भी सुन
लीजिये ,” वहीँ काली वाली, kkk ब्रांडेड वाली |कपड़ों पर तो ब्रांडेड की माया
छाई ही है | इनकी तो बात ही मत पूंछो | क्योंकि आधुनिकता का प्रचार करते हुए ब्रांडेड
होना अति आवश्यक मान लिया गया है | पर
अपनी आदतें भी ब्रांडेड होती जा रही हैं | माँ के हाथ का खाना , गुज़रे ज़माने की
बात लगती है | अब तो दाल रोटी , पिज़्ज़ा बर्गर के सामने मुँह पर पल्लू रख कर
शर्माती है | चक्की का आटा अब किसे सुहाता है | छोटे किराने की दुकाने मुँह फाड़ –फाड़ कर रो रही हैं कि , “
आओ भाई आओ हमारा सामान भी आजमाओ | “ अरे भाई! अब कौन उनकी सुनता है | ब्रांडेड
माल जो बाजू में सारी सुन्दरता को अपने में समेटे बैठी है और सबका दिल
चुरा ले गयी है | हांल की ही बात है श्रीमती खन्ना ने श्रीमती देशमुख से एक
पार्टी में कहा , “ हाय ! कैसी हो ? “ इधर कुछ दिनों से दिखाई नहीं दीं | हां यार थोड़ी बिजी हो गयी थी | फोन करने
का भी टाइम नहीं मिला, श्रीमती देशमुख ने जवाब दिया | कहाँ बिजी हो गयी ? श्रीमती खन्ना ने प्रश्न
दागा | हमारे मोहल्ले में आजकल योगा और एरोबिक्स
फ्यूजन एक्सरसाइज का कैंप चल रहा है | इसे वर्ल्ड फेमस x x x ब्रांड वाले करा रहे
हैं | खालिश शुद्ध देशी योग … योगा भी नहीं पर निर्भर रहने वाली श्रीमती खन्ना
का सुनते ही चेहरा चमक गया | उत्साह से बस
इतना ही बोली , हाउ लकी यू आर |
अप्रैल फूल – याद रहेगा होटल का वो डिनर“
|” मम्मी आपने मेरी जींस कहाँ रख दी , “बेटी नीरा जोर से अपने कमरे से चिल्ल्लाई |
अरे कौन सी माँ सविता अपने आटे से सने हाथ पोंछते हुए बोलीं | बेटी का जवाब भी सुन
लीजिये ,” वहीँ काली वाली, kkk ब्रांडेड वाली |कपड़ों पर तो ब्रांडेड की माया
छाई ही है | इनकी तो बात ही मत पूंछो | क्योंकि आधुनिकता का प्रचार करते हुए ब्रांडेड
होना अति आवश्यक मान लिया गया है | पर
अपनी आदतें भी ब्रांडेड होती जा रही हैं | माँ के हाथ का खाना , गुज़रे ज़माने की
बात लगती है | अब तो दाल रोटी , पिज़्ज़ा बर्गर के सामने मुँह पर पल्लू रख कर
शर्माती है | चक्की का आटा अब किसे सुहाता है | छोटे किराने की दुकाने मुँह फाड़ –फाड़ कर रो रही हैं कि , “
आओ भाई आओ हमारा सामान भी आजमाओ | “ अरे भाई! अब कौन उनकी सुनता है | ब्रांडेड
माल जो बाजू में सारी सुन्दरता को अपने में समेटे बैठी है और सबका दिल
चुरा ले गयी है | हांल की ही बात है श्रीमती खन्ना ने श्रीमती देशमुख से एक
पार्टी में कहा , “ हाय ! कैसी हो ? “ इधर कुछ दिनों से दिखाई नहीं दीं | हां यार थोड़ी बिजी हो गयी थी | फोन करने
का भी टाइम नहीं मिला, श्रीमती देशमुख ने जवाब दिया | कहाँ बिजी हो गयी ? श्रीमती खन्ना ने प्रश्न
दागा | हमारे मोहल्ले में आजकल योगा और एरोबिक्स
फ्यूजन एक्सरसाइज का कैंप चल रहा है | इसे वर्ल्ड फेमस x x x ब्रांड वाले करा रहे
हैं | खालिश शुद्ध देशी योग … योगा भी नहीं पर निर्भर रहने वाली श्रीमती खन्ना
का सुनते ही चेहरा चमक गया | उत्साह से बस
इतना ही बोली , हाउ लकी यू आर |
अप्रैल फूल – याद रहेगा होटल का वो डिनर“
अब बात करते हैं भाषा
की | तो वो भी कहाँ रही देशी | वो भी हो गयी है ब्रांडेड – हिंगलिश | यानी अपनी
हिंदी में अग्रेजी का तड़का | यकीन मानिए अगर ये तड़का न हो तो आज कल के बच्चे हिंदी
हज़म ही न कर पाए | वैसे भी हिंगलिश स्टेटस सिम्बल है | ब्रांडेड लोग हिंगलिश में
ही बात करते हैं | शुद्ध हिंदी में बात करने वाला तो गंवार समझा जाता है |हमारी
लाइफ स्टायल यानी जीने का तौर तरीका और सलीके बदल गए हैं | पति ब्रांडेड कंपनी में
काम करते हैं | बच्चा ब्रांडेड स्कूल में पढने जाता है | मम्मी किट्टी पार्टी में
ब्रांडेड कपड़ों और चप्पलों में जाती हैं | पर्स और मोबाइल की तो बात ही छोड़ो | वहां बैठी
सभी औरतें ( लेडीज कहना ज्यादा उचित होगा ) आपस में ब्रांडेड की ही बातें करती हैं
| हद तो तब हो गयी जब मिसेज शर्मा ने अपनी नौकरानी को चाय के साथ ब्रांडेड बिस्कुट
लाने का आदेश दिया | ऐसा लगा कि उनका भारी –भरकम शरीर भी इन
ब्रांडेड चीजों को खा – खा कर फूल
चुका है | चर्बी से “ मुटिया गयी हो “ कभी न खत्म होने वाला वाकया बन गया है |
की | तो वो भी कहाँ रही देशी | वो भी हो गयी है ब्रांडेड – हिंगलिश | यानी अपनी
हिंदी में अग्रेजी का तड़का | यकीन मानिए अगर ये तड़का न हो तो आज कल के बच्चे हिंदी
हज़म ही न कर पाए | वैसे भी हिंगलिश स्टेटस सिम्बल है | ब्रांडेड लोग हिंगलिश में
ही बात करते हैं | शुद्ध हिंदी में बात करने वाला तो गंवार समझा जाता है |हमारी
लाइफ स्टायल यानी जीने का तौर तरीका और सलीके बदल गए हैं | पति ब्रांडेड कंपनी में
काम करते हैं | बच्चा ब्रांडेड स्कूल में पढने जाता है | मम्मी किट्टी पार्टी में
ब्रांडेड कपड़ों और चप्पलों में जाती हैं | पर्स और मोबाइल की तो बात ही छोड़ो | वहां बैठी
सभी औरतें ( लेडीज कहना ज्यादा उचित होगा ) आपस में ब्रांडेड की ही बातें करती हैं
| हद तो तब हो गयी जब मिसेज शर्मा ने अपनी नौकरानी को चाय के साथ ब्रांडेड बिस्कुट
लाने का आदेश दिया | ऐसा लगा कि उनका भारी –भरकम शरीर भी इन
ब्रांडेड चीजों को खा – खा कर फूल
चुका है | चर्बी से “ मुटिया गयी हो “ कभी न खत्म होने वाला वाकया बन गया है |
भगवान् बचाए इस
ब्रांडेड रुपी राक्षस से | कल सब्जी वाला ठेले में मेंथी –पालक लाया तो मैंने
पूंछा , “ भैया कोई और सब्जी नहीं लाये ? “ वह अपने पीले –चीकट दांतों को निपोरते
हुए तपाक से बोला , “ आंटी जी मैं कल आपक लिए बिरानडेट सब्जी लाउंगा | लाल –पीले काप्सीकम , ब्रॉकली और बोलो
क्या लाऊं ?यह शब्द सुन –सुन कर मुझे उपकाई सी आने लगी | क्या हमारी हरी ताज़ा
सब्जियां किसी से कम हैं ? फलों के ठेलों में भी विदेशी ब्रांडेड फल हमारे देशी
फलों के साथ धींगा – मुश्ती करते देखे जा
सकते हैं | न जाने कब वो उन्हें हमारी थाली सी नीचे गिरा दे , कौन जानता है |
क्योंकि डॉक्टर जो रिकमंड करने लगे हैं … देशी सेब नहीं , जल्दी ठीक होना है तो
ऑस्ट्रेलिया का एप्पल खाइए |
आज मैं शर्मिंदा हूँ
ब्रांडेड रुपी राक्षस से | कल सब्जी वाला ठेले में मेंथी –पालक लाया तो मैंने
पूंछा , “ भैया कोई और सब्जी नहीं लाये ? “ वह अपने पीले –चीकट दांतों को निपोरते
हुए तपाक से बोला , “ आंटी जी मैं कल आपक लिए बिरानडेट सब्जी लाउंगा | लाल –पीले काप्सीकम , ब्रॉकली और बोलो
क्या लाऊं ?यह शब्द सुन –सुन कर मुझे उपकाई सी आने लगी | क्या हमारी हरी ताज़ा
सब्जियां किसी से कम हैं ? फलों के ठेलों में भी विदेशी ब्रांडेड फल हमारे देशी
फलों के साथ धींगा – मुश्ती करते देखे जा
सकते हैं | न जाने कब वो उन्हें हमारी थाली सी नीचे गिरा दे , कौन जानता है |
क्योंकि डॉक्टर जो रिकमंड करने लगे हैं … देशी सेब नहीं , जल्दी ठीक होना है तो
ऑस्ट्रेलिया का एप्पल खाइए |
आज मैं शर्मिंदा हूँ
कभी –कभी
लगता है सब छोड़ –छाड़ कर गाँव चली जाऊं | वहां के भोले –भाले लोग कम से कम इस
ब्रांडेड से तो परे होंगे | पर कहाँ ? गाँव का सीधा –सादा किसान मेरे यहाँ काम
करने आया तो मुझे लगा कि यह भोला –भला ही रहेगा |पर मैं गलत थी | चार महीने में ही
वो ब्रांडेड बन गया | देशी चाल ही भूल गया
| हाय रे मेरी किस्मत | कहाँ जाऊं ? किसे सुनाऊं ? लोग डिप्रेशन को दूर भगाने के
लिए सुबह –सुबह प्राणायाम करते हैं | पर इस ब्रांडेड बिमारी का कोई तोड़ मुझे नज़र
नहीं आता | ये ऐसा भूत है जो हम सबसे चिपक गया है | जो शायद किसी मन्त्र या ओझा के
द्वारा छुडाया नहीं जा सकता | क्योंकि हम सर के शैम्पू से लेकर पैरों के नाखूनों
तक ब्रांडेड हो चुके हैं |
लगता है सब छोड़ –छाड़ कर गाँव चली जाऊं | वहां के भोले –भाले लोग कम से कम इस
ब्रांडेड से तो परे होंगे | पर कहाँ ? गाँव का सीधा –सादा किसान मेरे यहाँ काम
करने आया तो मुझे लगा कि यह भोला –भला ही रहेगा |पर मैं गलत थी | चार महीने में ही
वो ब्रांडेड बन गया | देशी चाल ही भूल गया
| हाय रे मेरी किस्मत | कहाँ जाऊं ? किसे सुनाऊं ? लोग डिप्रेशन को दूर भगाने के
लिए सुबह –सुबह प्राणायाम करते हैं | पर इस ब्रांडेड बिमारी का कोई तोड़ मुझे नज़र
नहीं आता | ये ऐसा भूत है जो हम सबसे चिपक गया है | जो शायद किसी मन्त्र या ओझा के
द्वारा छुडाया नहीं जा सकता | क्योंकि हम सर के शैम्पू से लेकर पैरों के नाखूनों
तक ब्रांडेड हो चुके हैं |
श्रीमती एस .सेन गुप्ता
यह भी पढ़ें …
पढ़िए -तुम्हारे पति का नाम क्या है
पढ़िए- हमने भी करी डाई ईटिंग
आपको आपको व्यंग लेख “ब्रांडेड का बुखार“ कैसा लगा | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |
filed under- Branded items, Brands, Satire in Hindi
बहुत सुंदर तथा सामायिक लेख….आज की आधुनिकता ने सारे संस्कारों को दफ़न कर दिया है
बहुत सुंदर तथा सामायिक लेख….आज की आधुनिकता ने सारे संस्कारों को दफ़न कर दिया है
धन्यवाद शकुंतला जी
गजब ।व्यंग्य की चासनी में लपेटकर सच्चाई कह दिया ।
धन्यवाद आशा जी