सावन के आते ही अपनी धरती ख़ुशी से झूम उठती है , किसान अच्छी फसल की उम्मीद करने लगता है और बावरा मन गा उठता है …..
सावन की बुंदियां
उमड़ – घुमड़ कर
श्याम मेघ , अम्बर छाए
संकुल नभ गलियां
रिमझिम गिरे सावन की बुंदियां
श्याम मेघ , अम्बर छाए
संकुल नभ गलियां
रिमझिम गिरे सावन की बुंदियां
शीतल , मृदुल फुहारें गिरतीं
अमृत सम मधुमय जल झरतीं
भरतीं पोखर , झीलें , नदियां
रिमझिम गिरे सावन की बुदियां
तप्त हुई बेचैन धरा की
है जलधर ने प्यास बुझाई
कृषकों के चेहरों पर खुशियां
रिमझिम गिरे सावन की बुंदियां
अट्टालिका गगनचुंबी हित
वृक्ष कटें वन , उपवन के नित
झूला किस पर डाले मुनिया ?
रिमझिम गिरे सावन की बुंदियां
उषा अवस्थी
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सावन एक अट्ठारह साल की लड़की है
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बहुत सुंदर