क्या बबूल पर गुलाब का रेशमी खुशबूदार फूल उग सकता है | नहीं | पर कहते हैं कि व्यक्ति का स्वाभाव नहीं बदलता …पर जिम्मेदारी कई बार ऐसा कर दिखाती है | ये लघु कथा भी बबूल पर गुलाब उगाने की है |आइये जानते हैं कैसे
बबूल पर गुलाब
घर में रामचरित मानस का पाठ होना | खाने-पीने का मेनू चुपके से बदल जाना और आते-जाते लोगों का बार-बार धीरे चलो, खुश रहा करो जैसे नसीहत भरे वाक्य कहना और सारा का धीरे से मुस्कुरा देना……..बता रहा था कि घर में नन्हा मेहमान आने वाला है |
“बहू तुमसे कितनी बार कहना पड़ेगा कि अपनी बहू के लिए गरी-मिसरी मँगवा दो |”
सारा की अजिया सास खीज पड़ीं |
“अरे अम्मा! हम आपके पास ही आ रहे थे,बताओ क्या मँगवा लें |”
सारा की सास क़ागज-पेन लेकर अजिया की खटोली के पास आ बैठी |
“तुम्हारी गृहस्थी तुम जानो | हम तो बस बहू के लिए …|”
“हाँ हाँ, तो बताओ न अम्मा ! कितने गोले मँगवा लें |”
“अब उसमें बताना क्या पहलौटी का बच्चा है सात-पाँच गोला तो होना ही चाहिए|”
“हमने तो पूरे नौ गरी के गोले खाये थे, तुम्हारे दूल्हा के होने में |”
“तभी इतने मधुर स्वभाव के निकले कि मेरी जिन्दगी ही स्वाहा कर दी |”
“पुरानी बातों को मत सोचो बहुरिया अब तुम दादी बनने वाली हो |”
अजिया ने सारा की सास के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा |
“अम्मा क्या बातें हो रही हैं ?” कहते हुए सारा के ससुर आँगन में आकर खड़े ही हुए थे कि अचानक वातावरण बोझिल हो उठा | सारा की सास अपने में ऐसे सिमट गई मानो उसके चारों ओर काँटे उग आये हों |
“अम्मा मैं ये कह रहा था कि अब बहू को ऱोज दस ग्राम बबूल की पत्तियां खिलाना है |
“तुम्हारी आयुर्वेदिक नुख्सों की आजमाइश की आदत से अब मेरा जी ऊब गया है ……..और ये बताओ तुम ! तुम्हारी बहू क्या बकरी है |”
“अरे अम्मा ! हर बात टाला मत करो |” कहते हुए उनकी आव़ाज में तनाव उभर आया |
“आपको शायद पता नहीं, जिज्जी ने भी अपनी बहू को बबूल की पत्तियाँ ही खिलाई थीं | देखा नहीं कैसा गोरा-चिट्टा और कुशाग्र बुद्धि वाला बच्चा पैदा हुआ है | सात पीढ़ियाँ तर गईं मानो उनकी |”
इतना सुनते ही कोई और बोल पाता इसके पहले सारा चहक कर बोल पड़ी |
“लेकिन पापा जी, प्रतिदिन बबूल की पत्तियाँ लाएगा कौन ?”
“होने वाले बच्चे के दादा जी और कौन |” कहते हुए वे मुस्कुरा उठे | सबने चौंक कर
उनकी ओर देखा – आज तो जैसे बबूल पर गुलाब खिल आये थे |
कल्पना मनोरमा
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