दर्द की कल्पना उसकी तकलीफ को दोगना कर देती है | क्यों न हम खुशियों की कल्पना कर उसे दोगुना करें – रॉबिन हौब
नर्स समझदार थी | मुस्कुरा कर बोली ,” ठीक है मैं इंजेक्शन नहीं लगाउंगी | पर क्या तुमने हमारे हॉस्पिटल की नीले पंखों वाली सबसे बेहतर चिड़िया देखी है | वो देखो ! जैसे ही बच्चा चिड़िया देखने लगा | नर्स ने इंजेक्शन लगा दिया | बच्चा हतप्रभ था | सुई तो एक सेकंड चुभ कर निकल गयी थी | वही सुई जिसके चुभने के भय से वो घंटा भर पहले से रो रहा था |
बुरे से बुरा सोंचने के कारण एक नकारात्मक्ता का का वातावरण बनता है | यह नकारात्मकता गुस्से झुन्झुलाह्ट या चिडचिडेपन के रूप में नज़र आती हैं | जो न केवल हमारे वर्तमान को प्रभावित करती है बल्कि हमारे रिश्तों को भी ख़राब कर देती है |कभी आपने महसूस किया है की हम अपने अनेक रिश्ते केवल इस कारण खो देते हैं क्योंकि हम उनकी छोटी से छोटी बात का आकलन करते हैं | और उन्के बारे में बुरे से बुरी राय बनाते हैं |फलानी चाची अपनी परेशानी से जूझ रही है | हमारे घर जाते ही उन्होंने वेलकम स्माइल नहीं दिया | हमने उनसे उनकी समस्या पूंछने के बाजे मन ही मन धारणा बना ली की वो तो हमारी नयी गाडी , साडी या पर्स देखर जल – भुन गयीं | इस कारण हमें देख कर मुस्कुराई भी नहीं | अगली बार बदला लेने की बारी हमारी | वो हमारे घर आयेंगी तो हम भी नहीं मुस्कुराएंगे |
इस तरह बात साफ़ करने के स्थान पर उस राय के कारण हम खुद ही एक दूरी बढाने लगते हैं | जिसका दूरगामी प्रभाव पड़ता है |रिश्ता कच्चे धागे सा टूट जाता है | रिश्तों की भीड़ में हम अकेले होते जा रहे हैं | पर इसका दोष क्या हमारे सर नहीं है | बात केवल किसी के घर जाने की नहीं है | बच्चा पढ़ेगा कैसे , लड़की देर से आई कहीं बिगड़ न गयी हो , हेल्थ प्रोग्राम देख कर बार बार सोंचना की कहीं यह बिमारी हमें तो नहीं है या हमें न हो जाए | सब मिलकर एक नकारात्मक वातावरण बनाते हैं | हो सकता है ऐसा कुछ न हो पर हम सोंच में उन विपरीत परिस्तिथियों को साक्षात महसूस करने लगते हैं | भय और नकारात्मकता का वातावरण बना लेते हैं |
क्यों नहीं हम हर बात में कोई अच्छाई ढूंढें या कम से कम संदेह का लाभ दे दें | देखा जाए तो भविष्य की कल्पना एक ऐसा हथियार है ,जो ईश्वर प्रदत्त वरदान है | जिससे हम आने वाले खतरे के प्रति सचेत होकर अपनी तैयारी कर सके न की बुरे से बुरा सोंच कर वास्तविक परिस्तिथियों से कहीं ज्यादा तकलीफ भोग सकें|
कल जो होना है वो होना है | तो क्यों न हम अच्छी से अच्छी कल्पना करके अपने वर्तमान को दोगुनी खुशियों से भर दें |