ब्लाक अतीत

ब्लाक अतीत

आलोक
जल्दी-जल्दी सीढ़ियाँ चढ़ता
,हाँफता
प्लेटफार्म पर पहुँचा तो अभी पूरे पाँच मिनट बाक़ी थे……
8:40 की ट्रेन थी और अभी 8:35 हो रहा था…… पास बनवा लिया है तो टिकट
लेने का टेन्शन नहीं….. बेलापुर से जुइनगर जाने में टाइम ही कितना लगता
है…….
9:30
तक आॅिफस पँहुच
ही जायेगा।उसने प्लेटफ़ार्म पर नज़र डाली सब अपने आप में ………अरे नहीं !!!
अपने-अपने सेलफ़ोन में खोए ……….फ़ेसबुक व्हाट्सएप……….िकसी को किसी की
क्या ज़रूरत ……उसे भी तो नहीं ……….आज सुबह ही उसका नेटपैक

ख़त्म हो गया
था…..नहीं तो उसे भी प्लेटफ़ार्म पर नज़र डालने की क्या खा़क ज़रूरत
है……….एक टीनएज लड़कियों का ग्रुप फ़ोटो निकलवा रहा था…………बग़ल में
खड़ा लड़का किसी गेम में उलझा हुआ…..वही खड़ी लड़की चैट करते -करते अचानक से
सेल्फी लेने लगी……….हॅसबैन्ड ने माँगा होगा…..नहीं
….ब्वायफ्रेंड…..हाँ ब्वायफ्रेंड ही होगा……सोचते हुये उसे अपने पर ही खीझ
आ गई……..वो भी क्या फ़ालतू

बातें सोचता है? आज वह ख़ुश भी बहुत था……..उसे अंिकमा से
मिलना था…….रेस्टोरेन्ट का नाम देखने को सेलफ़ोन उठाया ही कि ट्रेन आ गई
…………..।

आज ज़्यादा
धक्का -मुक्की नहीं करनी पड़ी ……….और सीट भी मिल गई।अब वह आराम से…
ब्वायजोन को सुनेगा….”आइ लव द वे …..यू लव मी” साफ्ट
राॅक़़……कानों में घुलने लगा ….समान्तर ही दूसरी कई बातें
,यादें ……..।

कल रात अंकिमा
से कितनी देर तक बातें होती रही…………कितनी समझदार है अंकिमा ……उसके मन
की तहें ….आहिस्ता -आहिस्ता खोलती जाती है…….उन तहों में से मुझे बाहर
निकालती है तो मैं अपने व्यक्तित्व का एक नया पहलू देख आश्चर्यचकित हो जाता
हूँ….वह ही है जो मुझमें उतर पाई है……या कहूँ कि मैं उसके साथ स्वयं में उतर
पाता हूँ….कई बार मन को एक अलग रास्ते पर ले जाती है………अनोखा सा
रास्ता….जहाँ चलते हुए ऐसी चाह घर बना लेती है कि मंज़िल आये ही
ना……………।

परसों ही
आइ.ए.एस का इंटरव्यू नहीं निकलने पर वह कितना निराश था………लेकिन अंकिमा उसे
इस निराशा से कितनी दूर ले गयी…….जैसे आगे कितने रास्ते हों जो उसका इन्तज़ार
कर रहें हैं……..सुबह भी उसका मेसेज मिला “वेक अॅप यार!!! द न्यू डे हैज
कम अप विद् द न्यू कलर्स आॅफ द राइजेन सन !!!!!”सोच मुस्करा दिया आलोक…..वह
सामने देखकर झेंपता ….तभी सामने नज़र पड़ी ……सब अपनी ही दुनिया में डूबे
हुये……..उस दुनिया में स्वयं के लिए कुछ ढूँढते…..शायद स्वयं को ही ढूँढते
से।

अंिकमा जीवन,समाज,राष्ट्रीय -अन्तराष्ट्रीय विषयों पर कितनी सुलझी और मनोवैज्ञानिक दृष्टि रखे
है……….िकसी बात को सिरे से नकारती नहीं और लपक कर पकड़ती नहीं जबकि वह एक
हाउसवाइफ है………..ये ख़्याल दिमाग़ में आते ही आलोक का मन अजीब हो
गया…….”.क्यों नहीं रुकी तुम अंिकमा …..लड़ -झगड़ अपनी प्रतिभा का
,पढ़ाई का,अपने सपनों का……….कोई बहाना बना देती….तुम्हें रुकना था अंिकमा !मेरे
लिये
,
हमारे प्यार के
लिये….साथ बैठ कर देखे और सजाये सपनों के लिए…..पर तुम नहीं रुकी अंिकमा !!!इस
बात से पल्ला झाड़ना उतना आसान नहीं ….िजतना कपड़ों पर लगी ताज़ा धूल को झाड़ना
……।”

उदास हो उठा
आलोक…………तब तक फ़ोन में मेसेज की बीप बजी …..होगा कोइ मेसेज
…….”आपके लिए ख़ास रिचार्ज आॅफर!”
,”आप जीत सकते हैं पाँच करोड़,
!”………….”
मैं घर पर हूँ अकेली….मुझसे करोगे चटपटी बातें ,……!”या फिर “जीवन से हैं परेशान तो पं
लक्ष्मण दास करेंगे समाधान !”उसने मेसेज बाक्स ओपेन किया तो रुचि का मेसेज
था…….”तुम ठीक हो ना आलोक ……कल शाम से व्हाट्सएप पर आनलाइन नहीं
हुए……काॅल किया तो तुमने रीसिव नहीं किया…….जब भी मेसेज मिले प्लीज़
रिप्लाइ करना”

खीझ गया आलोक
….कितनी बार कहा है कि अपने आपको व्यस्त रखो…किताबें पढ़ो
,अपना बौध्दिक विकास करो,कुछ रचनात्मक करो….लेकिन नहीं …..वह तो
बस मुझपर नज़र रखना जानती है……कहाँ हो
? क्या खाया?…क्या कर रहे हो?अरे यार बीवी बनने की कोशिश में लगी रहती
है।हाँ ये ठीक है कि मैंने ही उसे

आइ लव यू कहा
था। उन दिनों मैं परेशान था …..मुझे किसी का साथ चाहिए था……और रुचि बहुत
अच्छी लड़की लगी……..बहुत अच्छी है भी लेकिन ……. ।अभी पिछले हफ़्ते की बात
है…..मैंने उससे कहा….

आज अच्छा नहीं
लग रहा…..अकेलापन लग रहा है”पहले तो वह मुझे काॅमेडी नाइट्स विद् कपिल के
चुटकुले सुनाने लगी िफर ख़ुश होते ना देख……बताने लगी कि कल तुम्हारी मम्मी
मेरे यहाँ आई थी ….कह रहीं थी कि….”तुम्हारे पापा को बहुत अफ़सोस होता है
कि उनकी बीमारी और दुकान ठीक से ना चलने की वजह से आलोक को अपनी रुचि और
व्यक्तित्व से बिल्कुल अलग एक बैंक में जाॅब करनी पड़ रही है”

अब एक तो मन
पहले से ही ख़राब ….ऊपर से उसकी पकाउ बातें ़……वह कभी भी मुझे ठीक से नहीं
समझती

जबकि
अंकिमा…………उसकी बात ही अलग है।पता नहीं उसका पति कैसा आदमी है
?…….जो अंकिमा जैसी लड़की से ख़ुश नहीं
रहता…..जबकि अंिकमा कभी अपने पति की कभी शिकायत नहीं करती……बस एक -दो बार ये
बताया कि उसके पास अंकिमा के लिए समय नहीं है……..तभी उसे ख़्याल आया कि …
,,,रेस्टोरेन्ट का नाम पता देख
ले……….शिकारा रेस्टोरेन्ट …..वाशी में है…पाँच बजे का समय दिया है।

आलोक सोचने लगा
कि आॅिफस में क्या बहाना बनाएगा…….ख़ैर यह कोई बड़ी समस्या नहीं क्योंकि वह
ज़्यादा लीव माँगता भी नहीं………अभी इन्हीं विचारों में खोया था कि…जुइनगर आ
गया।मुम्बई ने उसे काफ़ी

चौकन्ना बना
दिया है…….अगर सो भी जाए तो अपने स्टेशन पर नींद अपने आप खुल जाती
है……मुम्बई का चौकसपन उसने भी सीख लिया है।

आॅिफस से उसने
चार बजे ही छुट्टी ले ली…….लिफ़्ट से उतरते हुए उसने शीशे में अपनी ओर निगाह
डाली…..

लाइट परपॅल कॅलर
की शर्ट अच्छी लग रही थी…….शूज भी चमक रहे थे….बाल की तरफ़ देखते हुए हाथों
से सवार लिया…..आलोक के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान फैल गई।

स्टेशन पहुँचा
तो अभी लोकल को आने में समय था तो पास की दुकान पर जा मोबाइल रिचार्ज करवाने लगा।

मोबाइल डाॅटा
आॅन करते ही पचासों मेसेज आने लगे……कुछ घटिया जोक्स
,कुछ भगवान जी को शेयर करने के लिए,कुछ ज्ञान बघारते मेसेज ………..रुचि के
दस मेसेज…………पागल लडकी !इसे बाद में पढ़ूँगा …….अरे! अंकिमा ने भी कुछ
मेसेज किया है…..”हाइ आलोक…..आइ एम नाॅट कमिंग टू मीट यू यार……अभिषेक
ने मेरे लिए महाबलेश्वर का दो दिन का सरप्राइज़ ट्रिप प्लान किया है…………..यू
नो समटाइम्स ही बीकम्स वेरी केयरिंग..सो साॅरी आलोक!

दूसरा मेसेज
….”..आलोक !मुझे तुम्हें बड़ा वाला थैन्क्स बोलना है…….तुमसे बात करके
पता नहीं क्यों ……मैं इमोशनली बहुत स्ट्रांग हो जाती हूँ…..दिल और दिमाग़
दोनों से धूल झड़ जाती है……वी आॅलवेज विल बी गुड फ़्रेंड्स …”आगे भी
बहुत कुछ लिखा था ….आलोक ने फ़ोन आॅफ कर दिया………

आलोक को समझ में
नहीं आ रहा था कि वह क्या रिएक्ट करे…….उसे कोई जवाब देना समझ नहीं
आया………………।

उसी ट्रेन मैं
बैठा हुआ आलोक . अब वाॅशी ना उतरकर बेलापुर चला जाएगा………जाने किस दुनिया में
उलझा हुआ….ख़ुद को समझाता हुआ “अतीत से बाहर निकलो आलोक़़़़……निकलो
आलोक!निकलो!”अपनी आवाज़ कानों में जाते ही धीमी होती जा रही है।

उसे ध्यान आया
कि उसने रुचि का मेसेज पढ़ा ही नहीं …………दो फ़ोटो भेजे थे…….एक में
अपनी भतीजी के साथ खिलखिलाती रुचि…….दूसरी फ़ोटो …..ितल के लड्डुओं की
थी….आलोक को बहुत पसन्द है ना….बाक़ी सारे मेसेज उसकी चिन्ता को लेकर
थे………।

उसने फ़ोन मिला
दिया रुचि को…..”तुम्हारी बहुत याद आ रही है”…..रुचि हँसने लगी”क्या
बात है आज तुम बिलकुल ब्वायफ्रेंड की तरह बात कर रहे हो”आलोक हँसते हुए बोला
“चलो शादी कर लेते हैं”।दोनों हँसने लगे….आज कितने दिनों के बाद रुचि
से ढेर सारी बातें की ….रुचि कभी बच्चों सी बातें करती कभी कहती कि आलोक तुम
सिविल सर्विसेज़ की तैयारी छोड़ो मत …तुम कर लोगे….”यू आर वेरी
टैलेन्टेड…..मुझे तुम पर पूरा विश्वास है आलोक।”

फ़ोन रखकर आलोक
सोचने लगा कि”ऐसा अतीत जो कभी मेरी ज़िन्दगी का सुनहरा हिस्सा
था…….वर्तमान में जब सामने खड़ा हो गया…….तो वह उसे यूँ ही जाने नहीं दे
पाया…….उसे कसकर पकड़ लिया..बल्कि प्रयास करने लगा कि इस बार यह अतीत
…..अतीत बनकर ना जाने पाये….लेकिन अतीत …
.अतीत ही होता है…वह लौटकर कभी वर्तमान नहीं बन पाता……..वह अपने नियमों ,सीमाओं से बँधा हुआ है ।”

आलोक ने मोबाइल
आॅन िकया अंकिमा को कान्टैक्ट
,फ़ेसबुक ,व्हाट्सएप से ब्लाक कर डीलिट कर
दिया……… अब अंिकमा सिर्फ़ उसके ज़ेहन में छिपी है…..जहाँ से ब्लाक
,डीलिट करने का कोई विकल्प नहीं
और ज़रूरत भी
नहीं …..अतीत का घर वही है….जहाँ अतीत …अतीत बनकर सुरक्षित रहेगा….हमेशा।

आराधना



लेखिका



नाम-आराधना सिंह
िशक्षा-एम.ए
आधुनिक इतिहास

दी.द.उ.गोरखपुर
विश्वविद्यालय

जन्म-स्थान-गोरखपुर
वर्तमान निवास
-वाराणसी

फर्गुदिया,माय स्टोरी क्लब आदि ब्लाग में रचनाएँ
प्रकाशित

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